पूर्वोत्तर भारत के राज्य असम में गुवाहाटी के पास स्थित कामाख्या देवी मंदिर देश के 52 शक्तिपीठों में सबसे प्रसिद्ध है।
लेकिन इस अति प्राचीन मंदिर में देवी सती या मां दुर्गा की एक भी मूर्ति नहीं है पौराणिक आख्यानों के अनुसार इस जगह देवी सती के शरीर का कुछ अंश गिरा था जो समय के साथ महान शक्ति-साधना का केंद्र बना कहते हैं यहां हर किसी कामना सिद्ध होती है यही कारण इस मंदिर को कामाख्या कहा जाता है।
यह मंदिर तीन हिस्सों में बना है. इसका पहला हिस्सा सबसे बड़ा है, जहां पर हर शख्स को जाने नहीं दिया जाता है।
दूसरे हिस्से में माता के दर्शन होते हैं, जहां एक पत्थर से हर समय पानी निकलता है कहते हैं कि महीने में एकबार इस पत्थर से खून की धारा निकलती है ऐसा क्यों और कैसे होता है, यह आजतक किसी को ज्ञात नहीं है?
अकसर यह सोचा जाता है कि तंत्र विद्या और काली शक्तियों का समय गुजर चुका है लेकिन कामाख्या में आज भी यह जीवन शैली का हिस्सा है।
मंदिर के आसपास रहने वाले अघोड़ी और साधू के बारे में कहा जाता है कि वे काला जादू और श्राप से छुटकारा दिलाने में समर्थ होते हैं।
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