आजकल सभी सुखो का कारन पैसे को माना जाता है लेकिन जिंदगी में सबसे जायदा मायने ख़ुशी रखती है जबकि अमीर लोग सोचते है की ख़ुशी केवल धन से ही खरीदी जाती है।
लेकिन कुछ अमर धन की वजह से खुश भी होते है पंच वो ख़ुशी दिल से नहीं होती है वो धन तो कमा लेते है लेकिन अंदर मौत का डर और अनेक चिंताए उन्हें खाये रहती है क्योंकि उन्होंने एक विनाशी चीज को ख़ुशी के साथ जोड़ दिया लेकिन ख़ुशी कभी पैसे से नहीं खरीदी जा सकती है जायदातर आपने देखा होगा की गरीब व्यक्ति अमीर से ज्यादा खुश रहते है।
क्योंकि गरीब के जीवन में कोई खास मकसद नहीं होता उनके पास जितना होता है वो उतने में ही खुश रहते है परन्तु यंहा गरीब को भी पूर्ण रूप से खुश नही कहा जा सकता हैपरन्तु यदि हम सोचे हमारे पास बहुत कुछ हैऔर धन की वेल्यू इतनी नहीं है जितनी हमारी ख़ुशी की है तो धन हमारे लिए जरूरी नहीं रहता हम धन कमाते है पंरतु इस समाज के साथ धन से केवल जरूरते पूरी होती है ये ख़ुशी का साधन बिलकुल नहीं है धन से प्राप्त ख़ुशी इसी के तरह विनाशी और कुछ पल की होती है इसलिए इस धन ख़ुशी के लिए हमे ओरिजिनल ख़ुशी की नहीं छोड़ना चाहिए।
धन कमाना अच्छा है, कुछ लोग धन को माया समझते है वास्तव धन माया नहीं है धन की इच्छा रखना माया है धन को सब कुछ समझना ये माया है इस माया स एहमे निकल जाना चाहिए और केवल अच्छे भाव से धन को अर्जन करना चाहिए।
गरीब के खुश रहने का कारन ये भी है की उसे किसी चीज की कोई चिंता नहीं होती गरीब के घर में तिजोरी भी बड़ी मुश्किल से मिलती है उन्हें आगे धन जोड़ने का कोई गम नहीं रहता है वो जितना है उसी में खुश रहते है।
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