कच्चे तेल की कीमत में सोमवार को इतिहास की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई।

यह अमेरिका में कच्चे तेल का भाव माईनस तक पहुंच गया है अमेरिका वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट क्रूड का रेट माइनस 37 पॉइंट $63 प्रति बैरल तक पहुंच गया कच्चे तेल के भाव में कमी कोरोनावायरस संकट के चलते मांग में कमी और तेल की सभी भंडारण क्षमता पूरी बढ़ने के चलते हुयी।
कच्चे तेल की कीमत पानी की बोतल से भी कम है भारत कच्चे तेल का सबसे बड़ा आयातक देश है ऐसे में भारत अपनी खपत का पचासी परसेंट हिस्सा आयात करता है इसलिए जब क्रूड सस्ता होता है तो भारत को इसका सबसे ज्यादा फायदा मिलता है।

वही बैलेंस आफ ट्रेड कम होने से भारत को फायदा होता है भारतीय रुपए डॉलर के मुकाबले में मजबूत होता है इससे महंगाई भी काबू में आती है कच्चे तेल के बाद घरेलू बाजार में भी तेल की कीमतें कम होती है अमेरिका में WTI क्रूड के दामों में कमी आई है भारत की निर्भरता ब्रैंट क्रूड की सप्लाई पर है ना कि WTI पर ऐसे में अमेरिकी क्रूड के सस्ते होने का भारत पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

ब्रेंट क्रूड का दाम अभी भी $20 पर है यह गिरावट WTI के मई वायदा बाजार में दिखी है जबकि जून का भाव अभी भी $20 प्रति बैरल से ऊपर है अगर जब ब्रेंट क्रूड के दामों में 1 डॉलर की कमी आती है तो भारत का कच्चे तेल आयात का बिल करीब 29000 डॉलर कम होता है और अगर यह 10 डॉलर कम हो जाता है तो यह बचत 290000 डॉलर तक पहुंच जाती है जब इतनी बचत होती है तो तेल के दामों में कमी देखने को मिलती है।
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