चीन के वुहान शहर से शुरू हुआ कोरोना वायरस इन दिनों दुनिया भर के देशों के लिए जिंदगी का दुश्मन बना हुआ है।
कई देश इससे निपटने के लिए देशव्यापी लॉकडाउन लगा रखा है लेकिन स्थिति अभी भी काबू में नजर नहीं आ रही है भारत में भी संक्रमण से मरने वालों की संख्या 20,000 से पार हो गई है और 7 . 20 लाख लोग संक्रमित हैं मुंह से मास्क लगाने की चेतावनी बराबर दी गई है लेकिन सूक्ष्म कण यानी एरोसॉल हवा के जरिए भी ट्रांसमिशन का कारण बन सकते हैं।
दुनिया भर के 239 वैज्ञानिकों ने विश्व स्वास्थ्य संगठन को लिखे पत्र में साफ कह दिया कि कोरोना वायरसएयर बोर्न वायरस है जो हवा के जरिये फैल सकता है ऐसे में मास्क पहनना बहुत जरूरी हो जाता है लेकिन किसी भी तरह का मास्क आपके लिए सुरक्षित नहीं है सभी के पास यह सुविधा नहीं हैहै कि वह n95 मास्क को यूज कर सके ऐसे में जरूरी है कि सुरक्षा से लिहाज से आप समझे कि किस तरह का मास्क ठीक होगा हालांकि इस बारे में कई पहलुओं पर अभी शोध जारी है।
फ्लोरिडा अटलांटिक यूनिवर्सिटी ने हाल ही में मास्क के प्रभाव को लेकर एक शोध किया और जाना कि किस तरह मास्क का मास्क छींकने या खांसने से निकलने वाले द्र्वो से सुरक्षा कर सकता है इस अध्ययन में जो कुछ पाया गया नतीजों के तौर पर उसे Physics of Fluids नामक पत्र में प्रकाशित किया गया है इसके मुताबिक घर पर बनाए एक मास्क के सामने आने वाले ड्रॉपलेट्स को रोकने में कारगर होता है लेकिन ऊपर यानी नाक से उनकी तरफ जगह बनता है वहां से यह कारगर नहीं दिखता है।
इस शोध के प्रमुख बिंदु किस तरह से हैं जो मास्क रुमाल को फोल्ड करके या बांधना स्टाइल से बनाए गए वह एरोसॉल्स रेस्पिरेट्री ड्रॉपलेट्स रोकने में बहुत कम काम करती है जिन मास्क को कपड़े की कई तहो कोण जैसा आकार हो और चेहरे पर ठीक से फिट हो वह रेस्पिरेट्रीड्रॉप्स को रोकने में कारगर दिखे।
घर पर बने कोण आकार के मास्को में भी कपड़े की क्वालिटी हिसाब से कुछ लीकेज ये भी देखा गया कि बगैर मास्क पहने जब खांसा गया तो ड्रॉपलेट्स 6 फीट से भी ज़्यादा दूरी तक गए।
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