प्रदेश की रायबरेली में 700 साल पुरानी है घटना को लेकर यहां के लोग होली वाले दिन होली नहीं खेलते।
यहां 700 साल पहले होली के दिन राजा के बलिदान के कारणों की परंपरा आज भी चली आ रही है ऐसा नहीं है कि यहां होली नहीं खेली जाती है लेकिन रंगों का यह त्यौहार 3 दिन बाद बड़ी सादगी के साथ मनाया जाता है यह कहानी है रायबरेली डलमऊ की।
कहा जाता है कि लगभग 1321 ईसवी पूर्व में डलमऊ के राजाडलदेव होली का जश्न मना रहे थे तभी जश्न के दौरान जौनपुर के राजा सहस्रकी की सेना ने डलमऊ के किले पर आक्रमण कर दिया राजा बलदेव का आक्रमण की खबर मिली राजा युद्ध करने के लिए 200 सिपाहियों के साथ मैदान में कूद पड़े।
सहस्रकी की कि सेना से युद्ध करते समय पाखरौली गांव के निकट राजा बलदेव वीरगति को प्राप्त हुए इस युद्ध में उनके 200 सैनिक भी मारे गए जबकि शासन की के 2000 सैनिक मारे गए थे सदियां गुजर गई।
लेकिन डलमऊ तहसील क्षेत्र के 28 गांवों में आज भी होली के दिन उस घटना की यादें ताजा हो जाती है और युद्ध में राजा के बलिदान की वजह से यहाँ के 28 गाँवो में आज भी होली से 3 दिनों का शोक मनाते हैं।
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