आजकल सभी जगह महिलाओ की स्थति काफी दयनीय होती जा रही है विशेषकर मुश्लिम देशो में जहॉ पर ISIS का ज्यादा असर है।
मुश्लिम महिलाओ को कोई भी अधिकार नहीं दिया गया है वह पर औरतो पर जो जुल्म होता है उसके खिलाफ महिलाये अपना मुँह भी नहीं खोल सकती है कुछ देशों में तो हालत ऐसे है कि महिलाओं को सिर्फ बच्चे पैदा करने का साधन माना जाता है और उनके साथ जानवरों से भी बुरा बर्ताव किया जाता है।
ऐसे में दक्षिण अफ्रीका के सहारा रेगिस्तान में रहने वाली आदिवासी जाती इन सभी कटटरपंथियो के मुँह पर तगड़ा तमाचा है ये जनजाति अफ्रीका की सबसे पुराणी निवासियों में से एक है और अजा भी ये जाती अपने पुराने रीती रिवाज अपनाये हुए है लेकिन इस जाती की जीवन शैली देखकर आप भी चकित हो जाओगे।
दरअसल इस जाती में महिलाओ को पुरुषो से अधिक अधिकार मिले हुए है और हर बात का निर्णय केवल महिलाये ही लेती है इस महिला प्रधान जाती में महिलाओ को एक से ज्यादा पुरुषो से शारीरिक संबंध बनाने की आजादी होती है और शादी से पहले और शादी के बाद साडी सम्पति पर महिलाओ का अधिकार होता है।
और सबसे बड़ी बात ये की महिलाये पुरुषो को अपने साथ बिठाके खाना खाने से भी मना कर सकती है और इसके आलावा महिलाओ को ये अधिकार होता है वो अपने बीच में पुरुषो को आने से मना कर सकती है समय के साथ इस जाती ने इस्लाम धरम अपना लिया है लेकिन इस जाती ने शरिया कानून या कोई भी गलत महिला विरोधी नियमो को नहीं अपनाया है।
इस जाती के नियम उन पुरुषो पर के मुँह पर कड़ा तमाचा है जो महिलाओ को केवल भोगी वस्तुए समझते है इस जाति में महिलाओं को चेहरा और सर ढकने की जबरदस्ती नहीं है लेकिन हाँ पुरुषों को चेहरा और सर ढकना अनिवार्य है।
इससे पता चलता है कि शुरुआत में दुनिया के हर कोने में महिलाओं को ज्यादा शक्ति और सम्मान प्राप्त था, धीरे धीरे एक सोची समझी चाल से महिलाओं को अबला बनाया गया और उन्हें आश्रित बनने पर मजबूर किया।
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