जम्मू -कश्मीर में धारा370 हटने के बाद से अर्धसैनिक बल ले जवन सुबह से शाम तक और शाम से सुबह तक स्थानीय लोगो की सुरक्षा के लिए तैयार रहते है।
अपने घर से मिलो दूर यहां डटे ये जवान कानून व्यवस्था सुनिश्चित करने में लगे हुए है यहाँ जैसे -जैसे रात होती है और लोग नींद में होते है लेकिन केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के जवान सुनसान पड़ी सड़को पर लाठियों और अन्य हथियारों के सहारे किसी भी खतरे से निपटने के लिए तैयार रहते है ये जवान पांच अगस्त के बाद श्रीनगर और कश्मीर घटाई में स्थापित कानून और व्यवस्था को रखने में लगे हुए है अधिकारियो का कहना है की जवानो के लिए रात ज्यादा चुनौती भरी होती है इनके काम काक का समय कभी खत्म नहीं होता इनका रात से शुरू होकर दिन तक रहता है।
उत्तर प्रदेश के सीआरपीएफ सहायक कमांडेंट संजीव यादव और बिहार के भानु शेखर शहर में अक्सर रात में गश्त करते हैं यादव ने डल झील के आसपास के इलाकों में अपनी टीम के डल झील एरिया के अंदरूनी इलाको में गश्त करने के दौरान कहते हैं कि इलाज से एहतियात बेहतर है उन्होंने बताया की दिनभर थका देने वाली ड्यूटी के बाद जवानो के लिए रात की आसान नहीं होती।
क्योंकि रात में सिर्फ गस्त करना ही काम नहीं होता बल्कि ये भी देखना होता है की कही आतंकवादियों ने आईईडी जैसे विस्फोटक तो नहीं लगा दिए हैं पांच अगस्त के बाद डाउन टाउन कैसे इलाको में चौबीस घंटे जवान तैनात है इसका उद्देश्य है की ना सिर्फ पत्थरबाजों पर रखी जाये बल्कि इन्हे निकलने ही ना दिया जाये एसएसबी के सहायक उप निरीक्षक पुरुषोत्तम कुमार श्रीनगर के सेकिदाफार एरिया में चार अगस्त की रात से तैनात हैं।
हिमाचल के रहने वाले पुरुषोत्तम बताते हैं कि युवाओं के छोटे-छोटे समूह गलियों से निकलते हैं और हम पर पथराव कर भाग जाते हैं रुणाचल प्रदेश के खोबराम द्रवि जो उनके सीनियर हैं वह बताते हैं कि कई तरह की चुनौतियां हैं सीआरपीएफ असिस्टेंट कमांडेंट भानु शेखर टोर्च के साथ हर एक वाहन की बड़ी ही सावधानी के साथ चेकिंग करते है वह कहते है की जवान लंबे समय तक ड्यूटी करने के बाद थक जाते हैं और मनोबल ऊंचा रखना जरूरी है उन्हें प्रेरित रखना पड़ता है और मैं अक्सर उन्हें व्याख्यान देता हूं।
वह साथियो को बताते है की नए कश्मीर निर्माण में वो काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे है रात के से आसमान पर भी नजर रखनी होगी कुछ शरारती तत्व सीआरपीएफ कर्मियों को उकसाने की कोशिश करते हैं, लेकिन हम अनुशासित बल हैं असामाजिक तत्व आम तौर पर बुजुर्गों और बच्चों को आगे कर हम पर पथराव करते हैं वह जानते है की बुजुर्गो और बच्चो पर हम लाठीचार्ज नहीं करेंगे यादव ने कहा, जवानों को अपने परिवार के साथ कुछ समय के लिए अपनी जिम्मेदारियों के निर्वहन के दौरान घर पर बातचीत की अनुमति है।
इसके लिए प्रत्येक कम्पनी कमांडर को फोन दिया गया है भानुशेखर ने कहा, कई बार रात में जवानों के परिवारों के फोन आते हैं जब मेरे कान में उनकी बातें पड़ती हैं तो मैं खुद को उनके परिवार का हिस्सा पाता हूं।
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