ज्यादा राम -राम कहने वाले ही क्यों रहते है हमेशा दुखी ?यहां जाने इसकी पूरी कहानी

ज्यादा लोगों के दिमाग में यह सवाल आता है कि कि मुझे ज्यादा पूजा पाठ करने वाले ही दुखी क्यों रहते हैं आज हम इसका कारण बताते हैं। 

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 इसके पीछे भी एक कहानी है किसी नगर में एक निर्धन व्यक्ति व्यक्ति रहता था वह हमेशा दुखी रहता था और हमेशा उसे इस बात की शिकायत रहती थी कि इतनी इतनी पूजा करने के बाद भी उसे कुछ ना मिला सभी भगवान के सामने विनती करता था तो कहता था कि मेरी पूजा में कहां कमी रहती है  मुझे इतने कष्ट दे रहे हैं ऐसे कौन से पाप कर दिए के उसके बदले मुझे इतने दुख मिल रहे हैं। 

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क्या मेरा पूरा जीवन इसी प्रकार दुख में बीतेगा रोजाना यही बात पूजा करने के समय प्रभु के सामने कहे और रोने लगे एक भगवान को उस पर दया आ गई और उसके सामने आए उससे कहा पुत्र तुम मुझसे क्या चाहते हो वह व्यक्ति बोला भगवन मैं भी दूसरों की बातें सुखी और समृद्धि जाता हूं अपना जीवन सुख से बिताना चाहता हूं यह सुनकर भगवान ने उससे कहा सुख और समृद्धि कर्मों के अनुसार मिलती है। 

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तुम्हें लगता तुम्हारा पड़ोसी तुमसे ज्यादा सुखी है तो मैं तुम्हें दो थैली देता हूं एक  थैली  में तुम्हारे पड़ोसी की बुराई भरी हुई है और दूसरे वाले में तुम्हारे  दोष  भरे हुए हैं जो  थैला पड़ौसी   का है  उसे पीठ पर लाद  लेना और कभी खोल कर ना देखना और जो तुम्हारा  थैला है उसे खोल दे खोल कर देखते रहना इसे तुम्हें अपने  दोष  और कमियां सुधारने का मौका मिलेगा। 

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अपने थैले को सामने की ओर लटका लो इतना कहकर भगवान् वहां से अंतर्ध्यान हो गए उस व्यक्ति ने  दोनों थैले   उठाये और चल दिया लेकिन उससे एक भूल हो गई उसने अपना थैला पीठ पर ला दिया और उसका मुंह कस के बांध दिया और पड़ोसियों की बुराई वाला थैला सामने लटका दिया और उसे बार-बार खोल कर देखता रहा और दूसरों को भी दिखता रहा  इससे उसने वरदान मांगे थे वह उल्टे हो गए। 

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उन्नति की जगह अवंती होने लगी अब उसे पहले से ज्यादा दुख मिलने लगा दूसरों की बुराई दिखाने की वजह से लोग उसे बुरा कहने लगे यदि   वह  व्यक्ति    दूसरों की  बजाय  अपनी बुराइयां दूसरों को दिखाता और खुद देखता और उन्हें  सुधारता  तो उस को उन्नति मिलती लेकिन उसने अपनी बुराई की बजाय दूसरे की बुराई दिखाने लगा इससे हमें सीख मिलती है इंसान दूसरों की कमी निकालने की वजह अपनी कमियां निकाल कर उनको ठीक करने का प्रयास करेगा तो हमेशा तरक्की करेगा कभी भी उसके हाथ निराशा नहीं लगेगी। 

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