सोनभद्र में हाल ही में 3000 टन सोने की मिलने की खबर आई थी सोनभद्र में ही एक कहानी ऐसी भी है जो शापित है इस कहानी को याद करके वहां के रहने वाले लोग सहम जाते हैं।
आज हम आपको इस कहानी के बारे में बताते हैं यह दर्दनाक कहानि है अनजाने अकूत खजाने की इंसान के लालच और धन की हवस की रात के अंधेरे में जंगली जानवर जान बचाकर भागने की संघर्ष की दास्तां कई सदियों बाद आज फिर ताजा होगी।
जहां की दास्तान है वहां के लोग की आहत भर से आज भी काँप जाते हैं और सहम जाते हैं याद नहीं करना चाहते की उनके राजा और रानी की हत्या का मंजर गहरी रात में कैसा होगा लेकिन यह दुनिया की सबसे चमकदार और ललचाने वाले सोने की कहानी है जब-जब भी इस जगह और सोने का जिक्र होता है राजा और रानी की मौत का यह कहानी हर किसी किसी के जेहन में दौड़ जाती है।
11 वीं शताब्दी का दौर था जब सोना चांदी वाले गहने ही रियासत और अमीरी के प्रतीक थे जिस के खजाने में सबसे ज्यादा सोने चांदी को सबसे ज्यादा ताकतवर, स्त्री के शरीर पर सबसे का सोना और सबसे सुंदर जो सबसे ताकतवर है लूट लेगा और जो कमजोर हुआ लुटा देगा 11 शताब्दी के प्राचीन नगर सोनभद्र में एक राजा हुआ करते थे उनका नाम था बलशाह लेकिन अपने दुश्मनों के सामने एकदम निर्बल और कमजोर थी उनकी कमजोरी के कारण उनके पास मौजूद सोना था कहां जाता है जो उनके पास सो मन यानी करीब 4000 किलोग्राम सोना था इसलिए उस दौर में हर नगर में थे दूर-दूर तक उनकी संपत्ति के बारे में जानने की जिज्ञासा थी और यही संपत्ति उनकी मौत की वजह बन गई।
दरअसल खरवार राजा वर्षा एक आदिवासी राजा था उसके साम्राज्य पर चंदेल वंश के शासकों की नजर पड़ गई संदेशों को आदिवासी राज्य का है साम्राज्य जरा भी नहीं भाता था अपने साथ होने वाली अनहोनी से अनजान राजा बलशाह अपनी खूबसूरत रानी के साथ वक्त गुजार रहा था लेकिन राजा के लिए कयामत की रात आ गई चंदेल की शासकों ने राजा के अघोरी किले पर धावा बोल दिया राजा के ज्यादा सैनिक मारे गए वह अकेला पड़ गया चंदेला का सामना करना के लिए।
अपनी संपत्ति बचाने की हालत में नहीं था इसलिए वह अपनेकुछ सैनिकों के साथ करीब 4000 किलोग्राम सेना लेकर घने जंगल के पहाड़ों की तरफ भाग निकला सोनभद्र से करीब 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पनारी के जंगलों में अपना सारा सोना जगह-जगह जमीन में गाड़ करछुपा दिया इस इलाके में जगह-जगह सोना होने की वजह से ही यहां के आदिवासी जंगल के बारे में कहते हैं सो मन सोना कोना कोना।
अब यह कहावत बन चुकी है इसे अब भी सोन पहाड़ी कहा जाता है हे राजा बादशाह ने अपना सोना बचाने के लिए काम किया था लेकिन उसे अंदाजा भी नहीं था कि यह दर्दनाक किस्मत उसका इंतजार कर रही है के है किवंदिति है कि सारा सोना उसने जमीन में गाड़ दिया लेकिन वह जंगली जानवरों के आतंक से नहीं बच पाया चंदेल के शासक उसे खोजते इससे पहले कि जंगली जानवरों ने उसे मार दिया और निशान भी किसी को हासिल नहीं हुई जानवरों ने उसके चीथड़े उड़ा दिए।
राजा और नहीं मिलने से बौखलाए चनदेलो ने राजा बल सहाय की रानी जुरहि को अपना शिकार बना लिया शासकों ने रानी को बंधक बना लिया उसे यहां खौफनाक जंगल में ले जाकरकर बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया जो जुगैल के जंगलों में आज की रानी जुरहि के नाम काजुरहि देवी मंदिर मौजूद है यहां के रहने वाले आदिवासी के मुताबिक राजा बादशाह का युद्ध का कवच और और उनकी तलवार जंगल में एक गुफा से मिली थी बाद में तलवार को तो किसी को बेच दी गई लेकिन अब भी उनका कवच एक व्यक्ति के घर में मौजूद है सोनभद्र की पहाड़ियों में मिले सोने के बाद राजा और रानी जुरहि की मौत की कहानी एक बार फिर चर्चा में है सोने को पिछले सैकड़ोंसाल से कोई नहीं पहुंच पाया है।
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