महाभारत का युद्ध हर किसी को याद है इसमें अधर्म पर धर्म की जीत को महत्व दिया गया है।
इसमें सबसे बड़ा योगदान श्री कृष्ण का था जिन्होंने पांडवों का साथ दिया था इस युद्ध में द्रोणाचार्य भीष्म पितामह जैसे महारथी भी मारे गए थे महाभारत युद्ध में द्रोणाचार्य को धोखे से मारा गया था और इस धोखे से पिता को मारने पर उनके पुत्र अश्वत्थामा काफी क्रोधित हो गए।
उन्होंने पांडव सेना पर एक बहुत ही भयानक नारायणस्त्र छोड़ दिया इस अस्त्र का कोई भी प्रतिकार नहीं कर सकता था यह अस्त्रऐसा था जिन लोगों के हाथ में हथियार हो और जो लड़ने की कोशिश करते दिखाई दे उन पर अग्निवर्षा करता था और उन्हें तुरंत नष्ट कर देता था।
भगवान श्री कृष्ण से अपनी सेना को अस्त्र-शस्त्र छोड़ कर चुपचाप हाथ जोड़कर खड़े हो जाने का आदेश दे दिया और कहा कि मन को सांसों के साथ एकाकार करें ताकि युद्ध करने का बिल्कुल विचार ना आए क्योंकि यह उन्हें भी पहचान कर नष्ट कर देता है।
नारायणास्त्र धीरे-धीरे अपना समय समाप्त होने पर शांत हो गया इस तरह पांडवों की रक्षा हो गई और इसलिए हर जगह लड़ाई सफल नहीं होती कोई कुछ जगह शांति से बैठना भी लड़ाई को सफल बनाता है।
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