महा भारत में जब अश्व्थामा ने छोड़ दिया था पूरी पांडव सेना पर नारायणास्त्र तो इस तरह से रक्षा की थी पूरी सेना की श्री कृष्ण ने

महाभारत का युद्ध हर किसी को याद है इसमें अधर्म पर धर्म की जीत को महत्व दिया गया है। 

Shri krishna mahabharat use of narayan astra against pandavs - YouTube

इसमें सबसे बड़ा योगदान श्री कृष्ण का था जिन्होंने पांडवों का साथ दिया था इस युद्ध में द्रोणाचार्य भीष्म पितामह जैसे महारथी भी मारे गए थे महाभारत युद्ध में द्रोणाचार्य को धोखे से मारा गया था और इस धोखे से पिता को मारने पर उनके पुत्र अश्वत्थामा काफी क्रोधित हो गए। 

नारायणअस्त्र (Narayanastra) – भगवान नारायण ...

उन्होंने पांडव सेना पर एक बहुत ही भयानक नारायणस्त्र छोड़ दिया इस अस्त्र का कोई भी प्रतिकार नहीं कर सकता था यह   अस्त्रऐसा  था जिन लोगों के हाथ में हथियार हो और जो लड़ने की कोशिश करते दिखाई दे उन पर अग्निवर्षा  करता  था और उन्हें तुरंत नष्ट कर देता था। 


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भगवान श्री कृष्ण से अपनी सेना को अस्त्र-शस्त्र छोड़ कर चुपचाप हाथ जोड़कर खड़े हो जाने का आदेश दे दिया और कहा कि मन को सांसों के साथ एकाकार करें ताकि युद्ध करने का बिल्कुल विचार ना आए क्योंकि यह उन्हें भी पहचान कर नष्ट कर देता है। 

योद्धा अश्वत्थामा 3000 वर्षों से ...

नारायणास्त्र धीरे-धीरे अपना समय समाप्त होने पर शांत हो गया इस तरह पांडवों की रक्षा हो गई और इसलिए हर जगह लड़ाई सफल नहीं होती कोई कुछ जगह शांति से बैठना भी लड़ाई को सफल बनाता है। 

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