कोरोना वायरस को लेकर भारत को बड़ी कामयाबी हासिल हुयी है।
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भारत में लगातार सामने आ रहे हैं कोरोना संग्रहित मरीजों में वैज्ञानिक न सिर्फ स्ट्रेन की पहचान कर ली बल्कि उसे आइसोलेट करने में भी सफलता हासिल की है इस उपलब्धि के बाद वायरस की जांच के लिए दवा का पता लगाने का शोध करने में काफी मदद मिलेगी।
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पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफविरोलॉजी के वैज्ञानिकों ने कोरोना को पृथक कर लिया है अभी तक अमेरिकी ,जापान ,थाईलैंड और चीन ही दुनिया में चार ऐसे देश हैं जिन्हें यह कामयाबी मिली है भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के वैज्ञानिकों ने जयपुर और आगरा के संक्रमित मरीजों को पृथक करने के बाद उसकी वुहान से जांच की भारतीय मरीजों में मिला स्ट्रेन वहां जैसा ही है इन दोनों में 99.98 फ़ीसदी की समानता मिली है।
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दरअसल कोरोनावायरस के अब तक भारत में 81 संक्रमित मरीज मिल चुके हैं इनमें 17 विदेशी नागरिक भी शामिल है ज्यादा संक्रमित मरीज ऐसे हैं जो बाहरी देशों की यात्रा करके हाल ही में लौटे हैं इन लोगों के सम्पर्क में आने से कुछ फीसदी संक्रमित हुए हैं अभी तक कोरोनावायरस की जांच के लिए देश भर में 65 प्रयोगशाला काम कर रही है।
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आईसीएमआर की डॉक्टर निवेदिता के मुताबिक एक प्रयोगशाला की जांच करना है अब तक 59 लोगों की जांच हो चुकी है जिसमें 81 पॉजिटिव केस मिले हैं आईसीएमआर पुणे की वैज्ञानिक प्रिया अब्राहम ने बताया कि कोरोनावायरस को पृथक करने में भारत को सबसे बड़ी कामयाबी हासिल हुई है इस महामारी से बचाव के लिए भारत ने पहला चरण पार कर लिया है।
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उन्होंने बताया कि जयपुर में मिले इटली के नागरिक और आगरा के 6 मरीजों की वायरस की जांच करने के बाद इस स्ट्रेन को आइसोलेट किया गया साथ ही उस स्ट्रेन का वुहान में मिलने वाले स्ट्रेन से मिलान किया गया इनके बीच समानता मिली किसी भी महामारी को रोकने के लिए उसके वायरस की पहचान होना जरूरी होता है।
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यह एक प्रकार से ऐसा पहला चरण होता है जिसके बाद टीके और उपचार आदि को लेकर काम किया जाता है आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ बलराम भार्गव ने इसे वैज्ञानिकों की बड़ी कामयाबी मानते हुए कहा कि वायरस को प्रथक करने वाला भारत दुनिया का पांचवा देश बन गया है अब कोरोना वायरस का टीका खोजने की दिशा में वैज्ञानिक आगे बढ़ सकेंगे उन्होंने यह भी इस वक्त लोगों की सहायता की जरूरत है अगर सब कुछ नियंत्रण में रहा तो 30 दिन के भीतर हमको रोना को यहीं पर रोक देंगे।
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