उच्चतम न्यायालय ने केंद्र से कहा है कि वह 'एक राष्ट्र एक राशन कार्ड 'की योजना अपनाने की संभावना विचार करें।
ताकि कोरोनावायरस महामारी की वजह से देश में लागू लॉक डाउन के दौरान पलायन करने वाले कामगारों और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों को रियायती दाम पर खाद्यान्न मिल सके केंद्र सरकार की योजना इस साल जून में शुरू होने वाली है।
न्यायमूर्ति एन वी रमन ,न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति बी आर दवे की पीठ ने सोमवार को पारित अपने आदेश में कहा हम केंद्र सरकार को इस समय यह योजना लागू करने की व्यवहारिकता पर विचार करने और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए निर्णय लेने का निर्देश देते हैं न्यायालय ने इसके साथ ही अधिवक्ता दीपक कंसल के आवेदन का निस्तारण कर दिया।
कंसल ने राष्ट्रव्यापी लॉक डाउन की वजह से अलग-अलग स्थानों पर फंसे कामगारों और दूसरों नागरिकों के लाभ के लिए योजना शुरू करने का निर्देश देने का अनुरोध किया था याचिका में याची कर्ताओं ने कोरोनावायरस महामारी के दौरान प्रवासी श्रमिकों लाभार्थियों राज्यों के निवासियों और पर्यटकों के हितों की रक्षा करने और उन्हें रियायती खाद्यान्न और सरकारी योजना के लाभ उपलब्ध लाने के लिए स्थाई रूप से एक राष्ट्र एक राशन कार्ड योजना अपनाने के लिए न्यायालय से हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया था।
राज्य और केंद्र शासित प्रदेश अपने नागरिकों और मतदाताओं को प्राथमिकता दे रही है और प्रवासी मजदूरों और दूसरे राज्य के निवासियों को रियायती दाम पर खाद्यान्न योजना आवास और चिकित्सा सुविधा के लाभ नहीं दे रही है।
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