O.M.G.अगर भारत पर अंग्रेजो ने नहीं की होती हुकूमत तो कुछ इस तरह का होता अपना भारत,जानिए रोचक तथ्य !!

भारत पर अंग्रेजो ने लगभग 200 साल तक राज किया था लेकिन अगर हम ये सोचे की अगर अंग्रेज ना होते तो क्या होता आज हम आपको इतिहास को नए दृष्टिकोण से समझाने की कोशिश करते है। 


 हम आपको बता दे की भारत पर किसी विदेशी शक्ति द्वारा शाशन किया जाना एक ऐसी स्वयम्भावी प्रक्रिया थी जिसे टाला जाना एकदम नामुमकिन था क्योंकि ये हमारी भौगोलिक विशेषता के कारन था हमारे देश के संशाधन पूरी दुनिया को  चहक -चहक क्र आमंत्रण दे रहे थे आठ भारत पर किसी विदेशी शक्ति राज किया जाना कोई बड़ी बात नहीं थी लेकिन हम बात करते आज के मुख्य मुद्दे की की अगर भारत पर अंग्रेजो का राज  न होता तो क्या होता। 


क्या भारत पर अंग्रेजों का राज भारत के लोगों पर अत्याचार था?मेरा जवाब है नहीं इसका कारन है कम ब्रिटिश तोर तरीको पर सवाल उठाने से पहले एक बार जापान, पुर्तगाली, डच के बारे में भी जान लेना चाहिए आपको ज्ञात हो कि पुर्तगाली ने जहाँ भी अपने पैर पसारे उन्होंने वहां की संस्कृति तो बदली ही साथ ही महिलाओं का वलात्कार भी किया, वही डच का उद्देश्य तो व्यापार से ज्यादा इसाई धर्म को फैलाना था, फिर अगर अंत में जापानियों के कारनामों को जितना बखाने उतना कम होगा इतना जान लीजिये की द्वितीय विश्व युद्ध से पहले जापान ने पूरे दक्षिण एशिया को अपना उपनिवेश बना लिया था, और जापान जिस तरह अपने उपनिवेशों के साथ गन्दा  व्यवहार करता था उसे कौन नहीं जानता, वहीँ ब्रिटिश इस दुनिया के सामने कम से कम सभ्य होने का दिखावा करते रहे जिस कारन भारत की संस्कृति और विरासत को क्षति नहीं पहुंची। 


दूसरा प्रश्न है अगर अंग्रेज न होते तो आज भारत का क्षेत्रफल 32 लाख 87हज़ार 263 किलोमीटर होता ?मेरा जवाब है नहीं। 


क्योंकि हम सब लोग जानते है की भारत सेंकडो रियासतों में बनता हुआ था इसका कारन था वः भौगोलिक विवधता जो गंगा- जमुना तहजीब और दक्षिण की तहजीब को विविधता देती थी फिर भारत एक कैसे हो सकता था स्वंत्रता के पश्चात सरदार पटेल ने अथक प्रयास किया थे तब जाकर 565 रियासतें1 रुप में पिरोयी गयी थी इसलिए हम कहते है है की यह विदेशी शोषण का प्रभाव ही था की हममे राष्ट्रवास की लो जगी और आखिरकार हम एक शक्तिशाली राष्ट बनाने में सफल हुए अगर आज भारत में राजतन्त्र कल्पना करें तो हम अंदाज़ा लगा। 


सकते हैं कि भारत राजपुताना, मराठा, अवध, हैदरावाद, मैसूर और अहोम राजवंश के रूप में ही बटा होता और यही राजा भारत को अपने-अपने राष्ट्र के रूप में स्थापित कर चुके होते अतः कुल-मिलाकर निष्कर्ष के साथ मैं कहना चाहता हूँ कि इतिहास का कोई भी परिवर्तन यों ही नहीं होता बल्कि उस परिवर्तन होने के पीछे बहुत बड़ा कारण होता है, अगर फिर भी कुछ रूदिवादियों का मन न भरे तो एक यूनिवर्सल वाकया तो है ही। 

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