विवाह के बाद हर पत्नी पत्नी ने जीवन की शुरुआत के दौरान कई हिदायतें दी जाती है।
जब भी आदर्श दांपत्य जीवन का जिक्र होता है भगवान राम और सीता और शिव और माता पावती का जिक्र होता है अगर आप भी अपने दांपत्य जीवन को सुखद और खुशहाल बनाना चाहते हैं तो माता पार्वती और शिव का अनुसरण करना चाहिए।
1 सही विधि से विवाह :भगवान शिव के सृष्टि के कर्ता - धर्ता है इसके बाद भी उन्होंने माता पार्वती से गंधर्व विवाह नहीं किया विवाह के लिए समाज में प्रचलित हर विधि उन दोनों ने उस का पूर्ण रुप से पालन किया चाहे माता सती हो या देवी पार्वती का रूप दोनों ही मौकों पर सभी की सहमति मिलने के बाद ही पूरे विधि-विधान से रस्में पूरी की गई थी पूरे परिवार का साथ लेकर चलना आदर्श दंपत्ति की कर्तव्य होता है।
2 हर जन्म का साथ :पति के रुप में भगवान शिव की सती के साथ दांपत्य जीवन की शुरुआत ना हो सके तब उन्होंने अगला जन्म पार्वती के रूप में लिया और भोलेनाथ को अपने जीवनसाथी के रूप में पाने के लिए घोर तपस्या की भगवान शिव को अपने जीवन में केवल मां पार्वती का इंतजार था और माता पार्वती ने उन्हें पाने के लिए हर तरह की कठिन परीक्षा दी।
3 बच्चों केआदर्श माता-पिता:भगवान शिव और माता पार्वती ने एक आदर्श परिवार कैसा होना चाहिए पति पत्नी के बीच प्रेम औरघनिष्टता है तो वहीं उन्होंने अपनी संतानों को पालन-पोषण की जिम्मेदारी के साथ किया है।
4 प्रेम के साथ सम्मान भी :जीवन में एक दूसरे के लिए प्रेम होना जरूरी है लेकिन इसके साथ रिश्ते में सम्मान भी अवश्य होना चाहिए जिन कपल्स के रिश्ते में सम्मान नहीं होता वहा कलह बनी रहती है भगवान शिव ने हमेशा माता पार्वती के लिए माता पार्वती ने विश्व के मान सम्मान के लिए अपना जीवन त्याग करने से पीछे नहीं आती।
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