कोरोना काल में दो चीजें साथ रखना बहुत जरूरी है पहली चीज हैंड सेनीटाइजर और दूसरी है फेस मास्क।

इन दोनों को कोरोना वायरस के खिलाफ सबसे मजबूत हथियार माना जा रहा है लेकिन सबसे ज्यादा बिकने वाले सैनिटाइजर नकली है फेस मास्क क्वालिटी ऐसी की पूरी तरह से वायरस से बचा नहीं सकती सबसे पहले बात हैंड सेनीटाइजर ही करेंगे कंजूमर गाइडेंस सोसाइटी ऑफ इंडिया यानी सीजीएसआई ने मुंबई और आसपास के इलाकों से हैंड सेनीटाइजर्स के 122 सैंपल जमा किए जांच में इनमें से 50% या तो नकली पाए गए या फिर इनमें मेथॉनल जैसे जहरीले रसायनों की अधिक मात्रा पाई गई यानी जिन सैनिटाइजर्स का इस्तेमाल करके आप खुद को सुरक्षित रखने की कोशिश करते हैं उनकी क्वालिटी पूरी तरह से भगवान भरोसे है जो 122 सैंपल इकट्ठे किए गए हैं उनमें से 118 ब्रांडेड कंपनियों के थे जबकि चार अन्य ब्रांडेड यानी लोकल प्रोडक्ट थे।

इन सैंपल की जांच में पता चला कि 37% के जो दावे थे वह ठीक नहीं है 10% सैनिटाइजर कोई जानकारी नहीं दी गई थी ऐसा भी था जो कोरोना वायरस को मारने में क्या कोई भी कीटाणु मारने मे सक्षम नहीं थाअगर इस बात को आधार मान लिया जाएगा आप कह सकते है कि भारत में बिकने वाले आधे सैनिटाइजर या तो मिलावटी है या वह कोरोना वायरस से लड़ने में सक्षम ही नहीं है इस जांच में एक और खतरनाक बात पता चली है कि 4% सैनिटाइजर में एक जहरीला केमिकल मौजूदा जिसका नाम है मिथेनॉल जिन सैंपल्स में केमिकल पाया गया उन्हें बनाने वाली कंपनियों ने दावा किया था कि उनके प्रोडक्ट में 70 से 95% तक एथेनॉल यानी एल्कोहल का इस्तेमाल किया गया है लेकिन असल में यह कंपनी एल्कोहल की जगह 18 से 65% तक मेथेनॉल का इस्तेमाल कर रही थी।

यदि मेथेनॉल किसी व्यक्ति के शरीर में चला जाए तो वह बेहोश भी हो सकता है उसकी किडनी फेल हो सकती है और सांस लेने में परेशानी हो सकती है लंबे समय तक इसके इस्तेमाल से जान भी जा सकती है कुल मिलाकर भारत में कई कंपनियां मुनाफे के चक्कर में ग्राहकों को नकली और मिलावटी सैनिटाइजरबेच रही है या फिर आपकी शरीर में जहर पहुंचाने का काम कर रही है।

इस खबर से सबंधित सवालों के लिए कमेंट करके बताये और ऐसी खबरे पढ़ने के लिए हमें फॉलो करना ना भूलें - धन्यवाद

इन दोनों को कोरोना वायरस के खिलाफ सबसे मजबूत हथियार माना जा रहा है लेकिन सबसे ज्यादा बिकने वाले सैनिटाइजर नकली है फेस मास्क क्वालिटी ऐसी की पूरी तरह से वायरस से बचा नहीं सकती सबसे पहले बात हैंड सेनीटाइजर ही करेंगे कंजूमर गाइडेंस सोसाइटी ऑफ इंडिया यानी सीजीएसआई ने मुंबई और आसपास के इलाकों से हैंड सेनीटाइजर्स के 122 सैंपल जमा किए जांच में इनमें से 50% या तो नकली पाए गए या फिर इनमें मेथॉनल जैसे जहरीले रसायनों की अधिक मात्रा पाई गई यानी जिन सैनिटाइजर्स का इस्तेमाल करके आप खुद को सुरक्षित रखने की कोशिश करते हैं उनकी क्वालिटी पूरी तरह से भगवान भरोसे है जो 122 सैंपल इकट्ठे किए गए हैं उनमें से 118 ब्रांडेड कंपनियों के थे जबकि चार अन्य ब्रांडेड यानी लोकल प्रोडक्ट थे।

इन सैंपल की जांच में पता चला कि 37% के जो दावे थे वह ठीक नहीं है 10% सैनिटाइजर कोई जानकारी नहीं दी गई थी ऐसा भी था जो कोरोना वायरस को मारने में क्या कोई भी कीटाणु मारने मे सक्षम नहीं थाअगर इस बात को आधार मान लिया जाएगा आप कह सकते है कि भारत में बिकने वाले आधे सैनिटाइजर या तो मिलावटी है या वह कोरोना वायरस से लड़ने में सक्षम ही नहीं है इस जांच में एक और खतरनाक बात पता चली है कि 4% सैनिटाइजर में एक जहरीला केमिकल मौजूदा जिसका नाम है मिथेनॉल जिन सैंपल्स में केमिकल पाया गया उन्हें बनाने वाली कंपनियों ने दावा किया था कि उनके प्रोडक्ट में 70 से 95% तक एथेनॉल यानी एल्कोहल का इस्तेमाल किया गया है लेकिन असल में यह कंपनी एल्कोहल की जगह 18 से 65% तक मेथेनॉल का इस्तेमाल कर रही थी।

यदि मेथेनॉल किसी व्यक्ति के शरीर में चला जाए तो वह बेहोश भी हो सकता है उसकी किडनी फेल हो सकती है और सांस लेने में परेशानी हो सकती है लंबे समय तक इसके इस्तेमाल से जान भी जा सकती है कुल मिलाकर भारत में कई कंपनियां मुनाफे के चक्कर में ग्राहकों को नकली और मिलावटी सैनिटाइजरबेच रही है या फिर आपकी शरीर में जहर पहुंचाने का काम कर रही है।

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