यहां जाने शरीर में जाने के बाद कैसे काम करती है कोवेक्सीन

कोरोना वैक्सीन को लेकर कई तरह की बातें सामने आई है वहीं दूसरी तरफ भारत बायोटेक की तरफ से कहा गया है कि स्वदेशी को वैक्सीन 200 फ़ीसदी तक सुरक्षित है। 


कंपनी की तरफ से यह कहा था कहा गया है कि इसके 10 फ़ीसदी से भी कम साइड इफेक्ट देखे गए हैं जबकि दूसरी वैक्सीन में 60 से 70 फ़ीसदी तक साइड इफेक्ट देखे गए है आपको बता दें की भारत बायोटेक इस  वेक्सीन को आईसीएमआर और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ यूरोलॉजी के साथ मिलकर विकसित कर रहा है भारत ने 3 जनवरी को इसे आपात स्थिति में लगाने की मंजूरी भी दे दी है। 



को वैक्सीन शरीर में इम्यून सिस्टम को एंड टू बॉडीज बनाने और SARS-CoV-2  कोरोना वायरस से लड़ने के लिए मजबूत करती है एंटीबॉडीज वायरल प्रोटीन से मिली होती है जिन्हें हम स्पाइक प्रोटीन कहते हैं जो इसकी सतह से चिपकी होते हैं शोधकर्ताओं ने कोरोना वायरस पर बीटा प्रोपियोलेक्टोन नामक एक केमिकल का इस्तेमाल किया है इसके योगिक ने अपने जीन  के साथ मिलकर कोरोना वायरस को निष्क्रिय कर दिया है शोधकर्ताओं ने इस निष्क्रिय वायरस को एल्यूमीनियम आधारित कंपाउंड एजेंट में मिलाया इसके बाद इम्यून सिस्टम को वैक्सीन से के साथ मिलकर काम करने की मजबूती मिल गई। 


कोवैक्सीन में मृत  वायरस का इस्तेमाल किया गया हैयह  शरीर में जाने के बाद  इनएक्टिव वायरस एंटीजन प्रेजेंटिंग सेल को खा जाते हैं शरीर में टी सेल्स से बनने के बाद वह वायरस के खिलाफ शरीर इम्यून सिस्टम को लड़ने की मजबूती प्रदान करता है इस काम में उसकी मदद बी  सेल भी करती है यह शरीर में एंटीबॉडीज का निर्माण करती है और एंटीबॉडी स्पाइक प्रोटीन को टारगेट करता है कोवैक्सीन की दो खुराक सप्ताह 4 सप्ताह के अंदर देनी होंगी। 



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