भारत में 16 जनवरी से वैक्सीनेशन के अभियान का आगाज हो चुका है।
पहले चरण में लोगों की वैक्सीन की पहली डोज दी जा रही है और इसके ठीक है एक महीने बाद दूसरी वैक्सीन की डोज दी जाएगी औरकोरोना से लड़ाई में दोनों वेक्सीन की डोज जरूरी है आज टीकाकरण अभियान की शुरुआत करते हुए पीएम मोदी ने भी लोगों से वैक्सीन की दोनों डोज लगवाने को कहा था आज हम आप बताते हैं कि दूसरी डोज क्यों जरूरी है और इसको ना लेने से आपको क्या नुकसान हो सकते हैं।
वायरोलॉजिस्ट कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज का सख्ती से पालन करने की सलाह दे रहे हैं उनका कहना है कि वैक्सीन की पहली डोज शरीर में लॉन्च पैड के रूप में काम करती है और दूसरी इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाती है वैक्सीन की पहली डोज इम्यूनोलॉजिकल रिस्पांस बनाती है इसे तीन से चार हफ्तों के बीच में बॉडी में न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी बनने लगती हैआईसीएमआर के वरिष्ठ वैज्ञानिक रमन गंगाखेड़कर ने बताया कि वैक्सीन की दूसरी डोज शरीर में एंटीबॉडी के साथ-साथ टी सेल्स भी बढ़ाएगी टी सेल्स को किलर सेल्स भी कहा जाता है यह वायरस पर इम्यून रिस्पांस के साथ मिलकर काम करती है इसके अलावा वैक्सीन की दूसरी डोज से दोहोरी सुरक्षा मिलती है।
वैक्सीन रिसर्चर प्रसाद कुलकर्णी के अनुसार वैक्सीन की पहली डोज निश्चित तौर पर कुछ समय के लिए वायरस पर काम करेगी लेकिन दूसरी एंटी बॉडी को कई गुना बढ़ा देगी जिससे वायरस के खिलाफ लंबी इम्युनिटी बनेगी इसका सीधा सा मतलब है कि वैक्सीन 2 महीने में वायरस के खिलाफ पूरी तरह से सुरक्षा देने काबिल हो जाएगी।
हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि कोरोना वायरस की वैक्सीन लेने के बाद भी लोगों को मास्क पहने और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना होगा तभी से पूरी तरह से कोरोना से आजादी मिल सकेगी।
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