कोरोना की वेक्सीन लगने के बाद महिलाओ में हो रही है माहवारी को लेकर परेशानी ,रिपोर्ट्स को लेकर विशेष्ज्ञ हैरान

कोरोना वैक्सीन यह साइड इफेक्ट्स के कई मामले सामने आए हैं एक रिपोर्ट के अनुसार ब्रिटेन में तकरीबन 4000 महिलाओं को वैक्सीन लगाने के बाद पीरियड से जुड़ी में समस्या हुई है। 



वैक्सीन पर नजर रख रहे एक्सपर्ट्स ने खुद ऐसा दावा किया है उन्होंने यह भी बताया कि मुख्य रूप से 30 से 49 साल की महिलाओं में वेक्सीन लगने के बाद ही समस्या ज्यादा देखने को मिली है रिपोर्ट के मुताबिक महिलाओं को सामान्य रूप से होने वाले बिल्डिंग से ज्यादा फ्लो हो रहा है और कुछ महिलाओं में देरी से पीरियड होने की भी समस्या देखी गई है। 



 मेडिसिन एंड हेल्थकेयर प्रोडक्ट्स रेगुलेटरी एजेंसी के अनुसार 17 मई तक एक्स्ट्राजेनेका शॉट से जुड़ी ऐसी 2734 रिपोर्ट दर्ज की गई है हालांकि यह दवा अकेले एस्ट्रेजेनेका वैक्सीन को लेकर नहीं किया गया है 5000 की वैक्सीन से पीरियड में बदलाव के 1558 मामले सामने आ चुके हैं जबकि 66 मामलों को मोर्डना  की वैक्सीन से जोड़कर देखा जा रहा है एक्सपर्ट्स कह रहे हैं कि यह संख्या और भी ज्यादा हो सकती है क्योंकि पीरियड से जुड़ी इस दिक्कत को  कोई आंकड़ों में दर्ज नहीं करवा रहा है। 



ब्रिटेन की प्रसिद्ध अखबार 'द संडे टाइम्स' ने MHRA की कोविड साइड इफेक्ट्स की लिस्ट में पीरियड से जुड़ी दिक्कतों को शामिल न करने पर सवाल भी खड़े किए हैं हालांकि रेगुलेटर ने इस पर कहा है कि एक रिव्यू में यह निष्कर्ष निकल कर सामने आया है कि हाल ही में वैक्सीनेट हुई महिलाओं में यह समस्या बहुत व्यापक स्तर पर नहीं देखी गई है उन्होंने कहा कि इसकी बारीकी से जांच की जाएगी। 



 एमएचआरए कीचीफ एक्ज्यूटिव डॉक्टर जून  राई ने कहा हमने हेल्थ एक्सपर्ट्स की मदद से मेंस्ट्रूअल डिसऑर्डर अनियमित  ढंग से हो रही वजाइनल बिल्डिंग और वैक्सीनेशन के साइड इफेक्ट की रिपोर्ट्स का रिव्यू किया है ब्रिटेन में लगाई जा रही तीनों वैक्सीन के मौजूदा आंकड़े इस खतरे के बढ़ने की ओर इशारा नहीं करते हैं डॉक्टर ने कहा ऐसी महिलाओं की संख्या काफी कम है जिन्होंने वैक्सीन लगने के बाद मेंस्ट्रूअल डिसऑर्डर का सामना किया है हम इस समस्या के संकेतों को समझाने के लिए रिपोर्ट्स की बारीकी से  मॉनिटर  कर रहे हैं। 



रिपोर्ट के अनुसार 30 से 49 साल की तकरीबन 25 फ़ीसदी महिलाओं ने पीरियड से जुड़ी समस्या को महसूस किया है इसमें बिल्डिंग फ्लोर सामान्य से कम या ज्यादा, पीरियड समय से पहले या देरी से होना और पेट में ऐंठन से जुड़ी  दिक्कतें शामिल हो सकती है। 



यह शरीर में अक्सर हार्मोन  बदलाव के कारण हो सकता है साथ ही साथ मेडिकल कंडीशंस या  मेडिकेशन की वजह से भी हो सकता है ब्रिटेन की तरह अमेरिका में भीवेक्सिनेशन के बाद इस तरह की समस्या देखी जा चुकी है लेकिन वैज्ञानिकों ने तब कहा था कि इस पर कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। 

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