पूरी दुनिया में कोरोनावायरस को हराने के लिए कई शोध किए जा रहे हैं।
बायोकेमिकल मॉडल ने जहां कोरोनावायरस के खिलाफ रासायनिक पदार्थों की लड़ाई का आधार बनाया है वही एक वैकल्पिक पद्धति भी सामने आई है पदार्थों की तरंगों की आवृत्ति के आधार पर ईएफवी मॉडल सामने आया है।
इसमें दावा किया गया है कि कुछ दिनों तक 61 मिनट का समय खर्च करके कोई भी व्यक्ति कोरोना वायरस से मुक्ति पा सकता है वह भी बिना किसी दवा के सिर्फ 61 मिनट तक कुछ अनुनाद आधारित आवाज सुनी होगी हम आपको बताते हैं कि इलेक्ट्रो फ्रीक्वेंसी वाइब्रेशन क्या है।
साउंड थैरेपिस्ट इक्वांक आनखा ने इस मॉडल को प्रस्तावित किया है उन्होंने मशहूर वैज्ञानिक निकोला टेस्ला के सिद्धांत को आधार बनाया है टेस्ला ने कहा था यदि आप यूनिवर्स के रहस्य जानना चाहते हैं तो उर्जा तरंग और आवर्ती पर फोकस कीजिए इसी आधार पर एक क्वांग का मानना है कि हर पदार्थ को अपनी आवर्ती होती है जिस पर तरंगे अनुनाद करती है शोध में पाया गया कि कोरोना के जीनोम पॉलीमर्स और प्रोटीन एक आवश्यक आवर्ती पर अनुवाद करते हैं।
मानव शरीर की भी अपनी आवर्ती होती है और अनुनाद भी अमेरिका में गिलार्ड साइंसेज की दवा रे में सिर को कोरोना के खिलाफ कारगर माना गया है पहला मानव ट्रायल भी सफल रहा है अनुनाद मॉडल के शोधकर्ताओं ने माना है कि रेमडेसिर के अभी कोरोना की तरह ही तीनों पर अनुनाद करते हैं इसके अलावा अभी कोरोना के इलाज में इस्तेमाल की जा रही क्लोरोक्वीन की आवर्ती भी कोरोना की आवर्ती के आसपास है।
हमारा शरीर इलेक्ट्रोमैग्नेटिक प्लस पर काम करता है हमारा दिल जब सही आवर्ती पर नहीं धड़कता है तो इलेक्ट्रोमैग्नेटिक डिवाइस पेसमेकर लगाई जाती है जो सही इलेक्ट्रॉनिक प्लस भेज कर दिल को सही आवर्ती पर काम करने को कहती है हमारे शरीर की भी अपनी आवर्ती और अनुनाद होते हैं कोई भी वायरस जो मूलतः एक कोशिका होती है अपनी आवर्ती और अनुनाद हमारे शरीर पर थोप देता है अपने अनुनाद के जरिए ही वायरस जहर फैलाता है और शरीर को कमजोर करता है।
ऐसी मॉडल मानता है कि कोरोना के तीन हिस्सों जीनोम जैविक पदार्थ ,पॉलीमर्स और प्रोटीन के जोड़ को बाहर से विरोधी आवर्ती का अनुनाद देकर तोड़ा जा सकता है यदि वायरस का जोड़ी टूट जाएगा तो वायरस अपने आप निष्प्रभावी होकर मर जाएगा शोधकर्ताओं ने जीनोम पॉलीमर्स और प्रोटीन के तीन अलग-अलग आवर्ती अनुनाद खोज निकाले हैं।
इनकी काट के लिए भी तीन आवर्ती के अनुनाद पहचाने गए हैं हेडफोन के जरिए साउथवेल संक्रमित मरीज को भेजी जाती है जो ब्रेनवेव ट्रांसमिशन के सिद्धांत को पालन करते हुए शरीर में फैल जाती है यह आवाज साइंस साइनसोएडल टोन होती है यह प्रकृति की मूल आवर्त अनुनाद है आइसोक्रोनिक आवाजों को संगीत में डाला जाता है जिसे हम लोग सुन सके इस दौरान इंसान की दिमागी गतिविधियों पर सेंसर के जरिए निगाह रखी जाती है साथ ही ईसीजी और एलएफटी (लीवर फंक्शन टेस्ट) किया जाता है ताकि संक्रमित व्यक्ति के स्वास्थ्य की जानकारी मिल सके हर दिन महज 61 मिनट का समय संक्रमित मरीज को इस थेरेपी में लगता है।
7 -7 मिनट तक हेडफोन के जरिए रोधी आवर्ती अनुनाद की इलेक्ट्रो मैग्नेटिक तरंगे दिमाग को भेजी जाती है हर बार इन आवाजों को काम करने का मौका देने के लिए 20-20 मिनट का ब्रेक दिया जाता है ताकि शरीर बाहर से भेजे गए इस इलेक्ट्रोमैग्नेटिक कोर्ट को समझ सके और उस पर प्रतिक्रिया कर सके।
इस खबर से सबंधित सवालों के लिए कमेंट करके बताये और ऐसी खबरे पढ़ने के लिए हमें फॉलो करना ना भूलें - धन्यवाद
from Bollywood Remind | bollywood breaking news in hindi ,social trade news , bollywood news ,bollywood https://ift.tt/2Rfhiuw
0 comments: