गुजरात के गिर जंगल का नाम तो सबको पता ही है वहीं जहां शेर अपने परिवारों के साथ रहते हैं।
उसी जंगल में रहने वाला भारत का एक अकेला वोटर ऐसा है जिसके 1 वोट के लिए चुनाव आयोग को कर्मचारियों की पूरी टीम भेजनी पड़ती थी लेकिन अब ऐसा नहीं होगा क्योंकि उसकी मृत्यु हो गई है शेर और अन्य खूंखार जंगली जानवरों से भरे गिर जंगलों में स्थित महाभारत कालीन स्थल वाणिज्य स्थित शिव मंदिर के महंत और वहां 2007 से हर साल बनने वाले मतदान केंद्र के इकलौते मतदाता महंत भरत दास दर्शन दास का निधन हो गया था वह 68 साल के थे।
धूप का काला चश्मा पहने महंत की वेशभूषा के मतदान में हर साल उंगली दिखाते हुए सुर्खियों में रहने वाले भरत दास की तस्वीर को निर्वाचन आयोग ने अपनी वेबसाइट पर भी जगह दी थी लोकतंत्र में एक वोट की कीमत का महत्व बताने के लिए उनके बूथ का वर्णन भी वेबसाइट पर किया जाता था।
वह हर चुनाव में नियमित और निश्चित तौर पर मतदान करने आते थे उनके गुरु भाई महेंद्र दास दर्शन दास बापू ने बताया कि राजस्थान के पाली जिले के रहने वाले थे दरअसल भरत दास पिछले कुछ समय से डायबिटीज और ब्लड हाई ब्लड प्रेशर समेत कई बीमारियों से पीड़ित थे और कुछ समय से उनके दोनों गुर्दे भी बेकार हो गए थे अब उनके उत्तराधिकारी गुरु भाई महेंद्र दास दर्शन दास बापू होंगे अभी यह तय नहीं है कि वहां के वोटर होंगे या नहीं ऐसा माना जाता है कि पूर्ववर्ती जूनागढ़ गिर सोमनाथ जिले में स्थित है बाणेज ही वह जगह है जहां महाभारत काल के दौरान अज्ञातवास में भटक रहे पांडवों में से अर्जुन ने अपनी माता कुंती को प्यास लगने पर तीर से जमीन में छेद कर पानी निकाला था।
एशियाई शेरों के एकमात्र निवास गिर के वनों में स्थित इस मंदिर में रात में किसी श्रद्धालु के जाने की इजाजत नहीं है भरत दास ने आखिरी बार गत अप्रैल 23 को लोकसभा चुनाव के दौरान मत दिया किया था उनके इकलौते वोट के लिए चुनाव आयोग वहां 8 मतदान कर्मियों की टीम को भेज कर 55 किलोमीटर का रास्ता तय कर हर बार भेजता था।
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