सदियों से ऐसी मान्यता रही है कि गंगा का पानी कई प्रकार के रोगों से लड़ने की क्षमता रखता है।
गंगा के ऊपरी भाग में पाए जाने वाले व्यक्ति बक्टेरियोफेजेस में बैक्टीरिया के खिलाफ लड़ने की क्षमता मानी जाती है हालांकि कोरोना भी एक वायरस यानी विषाणु है गंगा नदी के पानी में कोरोना महामारी से लड़ने की ताकत है क्या करोड़ों लोगों की जीवनदायिनी नदी वैश्विक महामारी से लड़ने की दवा में काम कर सकती है इन सवालों को जवाब ढूंढने के लिए अब गंगा की सफाई के काम की निगरानी करने वाली सरकारी संस्था राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन ने पहल की है।
लेकिन आगे की योजना के बारे में फिलहाल नहीं बताया पत्र में कहा गया कि नागपुर स्थित नेशनल एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट पहले से ही गंगा नदी के पानी के विशेष गुणों को लेकर एक अध्ययन कर रहा है और इसकी रिपोर्ट आ चुकी है इसी बीच कोरोना संकट पैदा होने पर गंगा सफाई अभियान के काम में लगे कुछ कार्यकर्ताओं ने राष्ट्रीय गंगा मिशन को पत्र लिखकर दावा किया कि गंगा नदी के पानी में इस बीमारी के गुण लड़ने के गुण हो सकते हैं।
इन कार्यकर्ताओं के पत्र मिलने के बाद 24 अप्रैल को गंगा के मिशन अधिकारियों ने NIRI के वैज्ञानिकों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बैठक हुई थी इस बैठक में वैज्ञानिकों की राय थी कि गंगा के पानी में मौजूद है जो बैक्टीरिया जनित बीमारियों सकते हैं पानी में मौजूद बैक्टीरियोफेज में बैक्टेरिया के खिलाफ लड़ने की क्षमता मानी जाती है इसका अध्ध्य्यन करवाना जरूरी है वैज्ञानिकों ने यह जरूर माना है कि गंगा के पानी में वायरस जनित रोगों से लड़ने के लिए विकास की संभावना बाकी नदियों की पानी की अपेक्षा कहीं ज्यादा है राष्ट्रीय गंगा मिशन के महानिदेशक राजीव मिश्रा ने एक न्यूज चैनल से कहा कि कार्यकर्ताओं और वैज्ञानिकों के फीडबैक के बाद आईसीएमआर से शोध की सिफारिश की गई है क्योंकि यही मेडिकल रिसर्च में देश की सर्वोच्च संस्था है।
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