कोरवो का ऐसा कोनसा योद्धा था जिसे मारने के लिए श्री कृष्ण को दिन में ही करनी पड़ी थी रात

जयद्रथ की मृत्यु अर्जुन के हाथों हुई थी अर्जुन ने जयद्रथ का सिर काटा कि वह जाकर तपस्या कर रहे वृद्धछत्र जयद्रथ के पिता की गोद में गिरा। 


जयद्रथ - Krishnakosh

जैसे वृद्धक्षत्र ने जयद्रथ का मस्तक पृथ्वी पर गिराया उनका सिर भी फट गया  जयद्रथ  सिंधु देश का राजा था उसका विवाह कौरवों की बहन दुशाला से हुआ महाभारत के अनुसार जब पांडव 12 वर्ष के वनवास पर थे तब एक दिन राजा जयदर्थ  उसी जंगल में गुजरा जहां पांडव रह रहे थे उस समय आश्रम में द्रोपती को अकेला देखकर जयद्रथ  द्रोपदी  हरण कर लिया पांडवों को यह बात पता चली तो उन्होंने पीछा कर जयद्रथ को पकड़ लिया है भीम  जयद्रथ  वध करना चाहते थे लेकिन कौरवों की बहन  दुःशला  के पति होने के कारण अर्जुन ने उन्हें रोक दिया गुस्से में आकर भीम ने जयद्रथ के बाल  मूंडकर चोटियाँ  रख दी ऐसी। 

Know the secret of Jayadratha's life, due to which Abhimanyu was ...

हालत देखकर युधिष्टर को उस पर दया  आ गयी और उन्होंने जयदर्थ को मुक्त कर दिया पांडवों से पराजित होकर जयद्रथ ने अपने राज्य नहीं गया और अपमान का बदला लेने के लिए हरिद्वार जाकर भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए  तपस्या करने लगा तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उसे दर्शन दिए और वरदान मांगने के लिए कहा जयद्रथ ने भगवान शिव से युद्ध में पांडवों को जीतने का वरदान मांगा तब भगवान शिव ने जयद्रथ से  कहा  पांडवों से जीतना और   उन्हें मारना किसी के बस में नहीं है। 

जयद्रथ वध - Krishnakosh

 युद्ध में केवल एक दिन तुम अर्जुन को छोड़ शेष चार पांडवों का युद्ध में पीछे हटा सकते हो क्योंकि अर्जुन  स्वयं भगवान नर का अवतार है इसलिए उन पर तुम्हारा बस नहीं चलेगा ऐसा कह कर भगवान अंतर्धान हो गए और जयद्रथ अपने राज्य  लोटा महाभारत में जब युद्ध में गुरु द्रोणाचार्य ने युधिष्ठिर को बंदी बनाने के लिए चक्रव्यूह  बनाया तो उसके मुख्य द्वार पर जयद्रथ को  नियुक्त  किया योजना अनुसार  संशप्तक  योद्धा अर्जुन को युद्ध के लिए दूर ले गए जब युधिष्ठिर ने देखा कि चक्रव्यूह  के कारण के सैनिक मारे जा रहे हैं तो उन्होंने अभिमन्यु चक्रव्यूह को तोड़ने के लिए कहा। 

महाभारत में जयद्रथ कौन था और उसने ...

 अभिमन्यु ने कहा मुझे इस  चक्रव्यूह  में प्रवेश करना तो आता है लेकिन बाहर निकलने का उपाय मुझे नहीं पता  तभी युधिष्ठर  ने  भीम ने भी  अभिमन्यु  को विश्वास दिलाया कि तुम जिस स्थान पर भी  चक्रव्यूह तोड़ोगे  हम भी उसी स्थान में भी उन्हें प्रवेश कर पाएंगे जो का विध्वंस कर देंगे  युधिष्ठत्र और  भीम की बात मानकर अभिमन्यु  चक्रव्यूह को भेदकर  उस में प्रवेश कर गया लेकिन महादेव के वरदान जयद्रथ ने भीम नकुल सहदेव आदि को बाहर ही रोक दिया और अभिमन्यु की मृत्यु हो गई। 

Know the secret of Jayadratha's life, due to which Abhimanyu was ...


अर्जुन को पता चला कि अभिमन्यु की मृत्यु का कारण  जयद्रथ है तो उन्होंने प्रतिज्ञा  की कल सूर्यस्त से पहले जयद्रथ   या फिर अग्नि  में समाधि ले लूंगा जयद्रथ की रक्षा के लिए गुरु द्रोणाचार्य ने अगले दिन  शकटव्यू   की रचना की शाम तक युद्ध करने के बाद भी अर्जुन जयद्रथ तक नहीं पहुंच पाया क्योंकि उसकी रक्षा ,करण अश्वथामा ,भूरिश्रवा ,शल्य आदि  महारथी कर  रहे थे  जब भगवान श्री कृष्ण ने देखा कि सूर्यास्त समय   होने वाला है तो उन्होंने अपनी माया से सूर्य को ढकने के लिए अंधकार उत्पन्न कर दिया सब को लगा कि सूर्य अस्त हो गया और यह देखकर जयद्रथ के रक्षक सावधान हो गए  और जयद्रथ स्वयं अर्जुन के सामने आ गया और उसे अग्नि समाधि लेने के लिए कहने लगा तब श्री कृष्ण ने अर्जुन से कहा कि वह तुरंत जयद्रथ का वध कर दें। 

jayadrath in mahabharat. | बेटे का सिर धरती पर ...

 श्री कृष्ण ने अर्जुन को एक बात बताई थी कि जयद्रथ के पिता ने उसे वरदान दिया है जो भी वीर इसका सिर पृथ्वी पर  गिरायेगा उसके मस्तक के सौ टुकड़े हो जाएंगे इसलिए तुम इस प्रकार बाण चलाओ की  जयद्रथ का मस्तक काटकर उसके पिता की गोद में गिरे वह इस समय समंतकपंचक क्षेत्र में तपस्या कर रहे हैं अर्जुन ने अमोघ अस्त्र चलाकर  जयद्रथ  का मस्तक काट दिया यह मस्तक सेवृद्धक्षत्र की गोद में जाकर गिरा जिससे उन्होंने जो जयद्रथ  का मस्तक पृथ्वी पर किराया उनके मस्तक के सौ टुकड़े हो गए इस प्रकार अर्जुन ने जब जयद्रथ का वध कर दिया तब भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी माया से उत्पन्न अधिकार अंधकार दूर कर दिया। 

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