रूस की विक्ट्री डे पूरी दुनिया के अलावा भारत के लिए भी काफी खास रही।

परेड की अहमियत इस बार इसलिभी बढ़ गई क्योंकि गलवान में भारत का पराक्रम देखने के बाद चीन और हिंदुस्तान दोनों देशों के रक्षा मंत्री और दोनों देशों की सेनाओं का दल भी इस परेड में शामिल है हालांकि चीन का सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स दुष्प्रचार फैलाने से बाज नहीं आया।

ग्लोबल टाइम्स ने दावा किया था कि चीन के रक्षा मंत्री और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मास्को में मुलाकात होगी लेकिन भारत ने ऐसी किसी भी मुलाकात से साफ इंकार कर दिया था इस परेड के लिए चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के 105 जवान भेजे गए जबकि भारत में आज जारी परेड के लिए तीनों सेनाओं के 75 सैनिकों का दल भेजा जिसका नेतृत्व कर्नल रैंक के अधिकारी ने किया।

गलवान में चीन को सबक सिखाने के बाद आज परेड में भारतीय सेना के दल का जोश भी बेमिसाल रहा और उनकी कदमताल में चीन को चेतावनी की आवाज भी यकीनन सुनाई दी होगी बता दें की हर साल दूसरे विश्वयुद्ध में सोवियत संघ की जीत के मौके पर यह विक्ट्री परेड निकाली जाती है पहले यह परेड मई में निकालनी थी लेकिन कोरोना की वजह से टाल दी गई।

रूस की राजधानी मास्को और सभी बड़े शहरों में हर साल मनाया जाने वाला विक्ट्री डे रूस में उत्सव की तरह मनाया जाता है पहली विक्ट्री डे परेड 24 जून 1945 को आयोजित की गई थी जो मास्को के ऐतिहासिक रेड स्क्वायर पर निकाली गई थी।

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