पूर्वी लद्दाख में सीमा को लेकर चल रहे विवाद के बीच भारत के बाद एक और देश चीन को झटका देने की तैयारी में है।
भारत के बाद अब ऑस्ट्रेलिया में भी टिक-टॉक टिक-टॉक बैन करने की मांग उठ रही है जनता की मांग को देखते हुए संसदीय कमेटी बैन पर विचार कर रही है बीते कुछ हफ्तों से चीन के साथ चल रहे विवाद के चलते ऑस्ट्रेलिया यह कदम उठा सकता है।
भारत में सुरक्षा कारणों के चलते टिकटॉक ,यू सी ब्राउज़र जैसे 59 एप्स को बैन कर दिया अब ऑस्ट्रेलिया भी राष्ट्रीय सुरक्षा और यूजर्स के डेटा की सुरक्षा को देखते हुए टिकटोक बैन कर सकता है ऑस्ट्रेलिया में 1600000 से ज्यादा लोग टिकटॉक यूज़ करते हैं ऑस्ट्रेलिया के एक सांसद ने टिकटोक बैन करने की योजना भी शेयर की है यह कहा जा रहा है कि बाइटडांस कंपनी यूजर डाटा चीनी सर्वर पर भी डाल सकती है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक ऑस्ट्रेलिया के सांसद ने कहा उनके देश में टिकटॉक पर आ चुका है उन्होंने कहा चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के लिए डाटा इकट्ठा करने के तौर के तौर पर देखा जाना चाहिए मीडिया से बात करते हैं उन्होंने कहा कई और सांसद भी टिकटॉक बैन कराने की मांग कर रहे हैं।
सीनेटर जैनी मेकएलिस्टर ने कहा टिकटॉक कंपनी के अफसरों में को जांच में सहयोग करना चाहिए वही ऑस्ट्रेलियन स्टेट पॉलिसी संस्थान के एक्सपर्ट सदस्य ने कहा टिकटॉक पूरी तरह से प्रोपगेंडा और मास सर्विलांस के लिए है इसमें चीन के खिलाफ दिए जाने वाले विचार सेंसर कर दिए जाते हैं रयान ने कहा चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के कई सदस्य कंपनी में है ऐसे में सवाल ही नहीं उठता है कि उनका डाटा पर नियंत्रण नहीं है।
ऑस्ट्रेलिया की सांसद और इंटेलीजेंस एंड सिक्योरिटी कंपनी के अध्यक्ष एन्ड्रू हैस्टी ने फरवरी में यही दावा किया था कि एप्स राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है उन्होंने कहा चीन के इंटेलिजेंस कानून 2017 के मुताबिक चीन की सरकार कभी भी कंपनियों को जानकारी शेयर करने के लिए भी कह सकती है .
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