रावण को पुराणों में एक बहुत निर्दयी राजा के रूप में जाना जाता है लेकिन उनकी उम्र का उल्लेख किसी भी पुराण में नहीं किया गया है।
पता नहीं कितने हजारो वर्षो उसने कठोर तपस्या की थी कठोर तपस्या की वजह से ही रावण को 10 सिरों का वरदान प्राप्त हुआ था फिर उसने दोबारा तपस्या करके शिव जी की प्र्शन किया था।
उन्हें अपने साथ लंका ले जाने के लिए परन्तु देवताओ ने उसे ऐसा करने स रोक दिया था और भगवान शिव वही धरती पर छल के द्वारा स्थापित करवा दिए गए।
रावण ने कई वर्षो तक घनघोर तपस्या कर कई तरह की सिद्धियाँ और शक्तिया प्राप्त की थी हजारो सालो तक रावण ने लंका पर शाशन किया था रावण का जन्म श्री राम की कई पीढ़ियों पूर्व ही हो चूका था।
इसलिए रावण की सही आयु का अनुमान लगाना काफी मुश्किल है उनकी उम्र करीब 800000 वर्षों के आसपास थी क्योंकि उसकी नाभि में अंतिर था इसलिए यदि श्री राम ने उसका वध नहीं किया होता तो शायद वो आज भी जीवित रहता।
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