मध्यप्रदेश के बालाघाट में चीजगांव नाम के गांव में कुछ आदिवासी महिलाओं ने एक राइस मिल का संचालन शुरू किया है।
आपको बता दें कि लॉकडाउन से पहले यह आदिवासी महिलाएं इस मील में मजदूरी पर काम करती थी लेकिन लॉक डाउन की वजह से मिल बंद हो गई और उनका रोजगार भी छिन गया इसके बाद उन्होंने तय किया कि हम साथ मिलकर ही इस मील को दोबारा चालू करेंगे वही मालिक अपनी बंद पड़ी मिल की मशीनें बेचना चाहता था और महिलाओं ने समूह बनाकर अपनी बचत से उसे खरीद लिया अब महिलाएं बड़ी सफलता के साथ ही इस राइस मिल का संचालन कर रही है।
इन महिलाओं के साहस की पीएम मोदी ने अपने 'मन की बात 'में भी सराहना की थी महिलाओं ने खुद से चावल बनाने का काम शुरू कियाऔर बाद में आपस में समूह बनाकर अपने बचत की राशियों सरकार से मिलने वाली सहायता के बलबूते पर उस राइस मिल को खरीद कर उसकी मालकिन बन गई।
मीना राहंगडाले ने कहा कि हम इस गांव में 2017 से स्व सहायता समूह के रूप में काम कर रहे थे हमारे समूह की कुछ महिलाएं एक राइस मिल में मजदूरी करती थी लेकिन लॉक डाउन में मिल बंद होने की वजह से इन महिलाओं के पास काम नहीं रहा हमने पहले छोटी मिल शुरू की फिर समूह की महिलाओं ने मिलकर बड़ी मिल चालू करने का निर्णय किया और अभी ये हमारी आजीविका का साधन है।
इन महिलाओं के इस प्रयास का प्रशासन भी इनका मददगार बना महिलाओं के जरिए आपदा को अवसर में बदलकर अपना कारोबार शुरू करने की सोच को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सराहा।
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