प्रणब मुखर्जी की बेटी ने किताब का विमोचन करते हुए बताया की कैसे किसी दया याचिका ख़ारिज करने पर वो हो जाते थे दुखी

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने रबुधवार को अपने पिता की पुस्तक' द फाइनेंसियल इयर्स 'के लोकार्पण के दौरान कहा कि याचिकाओं में राष्ट्रपति आखरी उम्मीद होती है इसलिए उसमें मानवीय दृष्टिकोण होता है। 


इसलिए वहां पर बैठा व्यक्ति कैसा महसूस करता है कि  जब वह जानता है कि हस्ताक्षर से वह किसी की किस्मत तय करने जा रहा है इसलिए निश्चित ही मैंने इस पीड़ा को महसूस किया और जब मैं पूछती थी तब वह कहते थे  मैं रात को सो नहीं सकता। 


एक बार मैं जब याचिका खारिज कर देता हूं मैं रात को सो नहीं सकता उन्होंने कहा कि वह हर मामले में काफी बारीकी से चीजों को देखते थे और काफी गहनता पूर्वक हर मामले को निपटा थे। 



2012 से 2017  तक राष्ट्रपति रहे मुखर्जी ने 26/11 मुंबई हमले के गुनाहगार आतंकवादी अजमल कसाब और संसद हमले के दोषी अफजल गुरु की दया याचिकाओं का निपटान किया था शर्मिष्ठा ने अपनी पिता  की पुस्तक में बताया कि सजा उन्होंने नहीं बल्कि न्याय तंत्र ने दी थी। 



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