मानसिक स्वास्थ्य खराब होने पर आज भी 44 फीसदी लोगो डॉक्टर से सम्पर्क करने के बजाय तांत्रिको या बाबाओ के पास जाना पसंद करते है उन्हें लगता है इसका इलाज तांत्रिक के पास है।
मानसिक स्वास्थ्य के प्रति लोगो की आज भी वैसे की वैसे बनी हुयी है एक सर्वे में पता चला है की 43 परसेंट लोग मासिक बीमारियों को बीमारी समझते है और इलाज के लिए अस्पताल जाने की बात महसूस करते है सर्वे के मुताबिक मानसिक बीमारियों के इलाज के लिए जायदातर लोगो के आसपास किसी तरह का कोई सेंटर नहीं है 26 प्रतिशत लोगो को इलाज के लिए 50 किलोमीटर दूर तक जाना पड़ता है 7 राज्यों के 10 हजार 233 लोगों पर की गई।
स्टडी कॉस्मॉस इंस्टिट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड बिहेवियरल साइंसेस (CIMBS) ने 7 राज्यों के 10 हजार 233 लोगों पर यह स्टडी की CIMBS के डायरेक्टर डॉ सुनील मित्तल ने कहा कि सर्वे के आधार पर मानसिक स्वास्थ्य सुविधा को बढ़ावा देने के लिए कई सुझाव भी आए हैं 37 प्रतिशत लोगो ने ज्यादा से ज्यादा मानशिक चिकित्षा केंद्र खोलने का सुझाव दिया 28 फीसदी लोगो ने कहा मानसिक रोगियों के इलाज को आसान बनाया जाये।
जबकि 24 प्रतिशत ने आम लोगों को जागरूक करने के लिए अभियान चलाने का सुझाव दिया55 परसेंट लोगो मानसिक बीमारियों से जूझ रहे है और कई लोग इस बीमारी को खतरनाक बीमारी मानते है डॉ. दीपाली बंसल के मुताबिक 55 प्रतिशत लोग मानसिक बीमारियों से जूझ रहे लोगों को खतरनाक मानते हैं लेकिन यह गलत धारणा है।
मानसिक बीमारी वाले लोग दूसरों के लिए खतरनाक साबित नहीं होते बल्कि दूसरों के खराब व्यवहार से पीड़ित जरूर होते हैं जीन एक्सपर्ट प्रणव अनम का कहना है की मानसिक बीमारी छिपाने की आदत होती है लेकिन कई ऐसे बीमारी है जो परिवार में किसी को होती है तो दुसरो को भी होने का खतरा रहता हैऑटिज्म, बाईपोलर डिसऑर्डर, डिप्रेशन और सिजोफ्रेनिया जैसी स्थितियों में जिनेटिक कारण जिम्मेदार होते हैं।
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