ज्यादातर देखा जाता है की किसी भी पूजा और हवन में पति और पत्नी दोनों को साथ में बैठकर पूजा करनी होती है ऐसा करना काफी शुभ माना जाता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पत्नी के स्वरा साथ में पूजा करने से पुण्य का लाभ ज्यादा मिलता है वही विवाह के बाद अकेले पूजा करने से उस पूजा का महत्व काफी कम हो जाता है कहा जाता है की शादी के बाद सर्फ पूजा पाठ ही नहीं तीर्थ जैसे धर्म कर्म भी पत्नी के साथ ही करने चाहिए आज हम आपको बताते है की पति और पत्नी को साथ में बैठकर पूजा क्यों करनी चाहिए इससे क्या लाभ होते है।
1 धर्म कर्म में साथ काम करने से दाम्पत्य जीवन में तालमेल बेथर होता है एक साथ पूजा पाठ करने से रिश्ते में आ रहे उतार चढ़ाव और कलह भी कम होती है पति -पत्नी का एक दूसरे के लिए प्यार बढ़ता है।
2 शादी के फेरो के समय दिए वचनो में एक होता है शादी के बाद किसी भी व्रत ,धर्म -कर्म के लिए जाए तो आप मुझे भी सात लेकर चले यही वजह है की शादी के बाद पति और पत्नी को अकेले पूजा नहीं करनी चाहिए ना किसी तीर्थ स्थल पर जाना चाहिए अकेले पूजा करने से पूजा सफल नहीं होती और ना तीर्थ यात्रा सफल होती है।
3 ऐसा माना जाता है की पत्नी के पूजा में बैठने से मन की कामना पूरी नहीं होती है अगर मनचाहे फल की प्राप्ति चाहते हैं तो आप दोनों को साथ में पूजा में बैठना चाहिए।
4 पत्नी के बिना किया गया हर धार्मिक काम अधूरा माना जाता है उसको भगवान स्वीकार नहीं करते है।
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