इस समय देश में नागरिक संशोधन बिल के नाम पर काफी दंगे फसाद हो रहे हैं मुसलमान और हिंदू आपस में लड़ झगड़ रहे हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि नागरिक संशोधन बिल क्या होता है।
आज हम आपको बताते हैं कि क्या है नागरिक संशोधन बिल नागरिक अधिनियम बांग्लादेश और अफगानिस्तान ,पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने से संबंधित है इन देशों में पिछले कई दशकों से हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख और पारसी लोगों के साथ शारीरिक व मानसिक उत्पीड़न हो रहा है इसलिए इन धर्मों के अनुयाई समय-समय पर विस्थापित होकर भारत आते रहते हैं।
लेकिन विडंबना यह थी कि यहां भी उनके साथ विदेशी जैसा व्यवहार किया गया क्योंकि उनके पास भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए और ठोस दस्तावेज उपलब्ध नहीं था इसलिए एक भारतीय नागरिक को मिलने वाली सुविधाओं से वंचित रह गए।
धार्मिक आधार पर भेदभाव एक शर्मनाक घटना है जिसका किसी भी राष्ट्र में होना वहां के मानवीय मूल्यों को ह्रास दर्शाता है पाकिस्तान की नेशनल असेंबली के अनुसार हर साल 5000 विस्थापित हिंदू भारत आते हैं जबकि यह संख्या आधिकारिक आंकड़ों से बहुत ज्यादा है हमारे पड़ोसी देशों में अल्पसंख्यकों खासकर हिंदुओं को जबरन धर्म परिवर्तन बलात्कार,नसंहार और संपत्तियों पर अवैध कब्जा कर सहना है इन सब से बचकर वो भारत भागते हैं तो उन्हें यहां शिक्षा स्वास्थ्य और दूसरी मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल सकती।
यह पूर्ण रूप से मानव अधिकारों का हनन है बांग्लादेश अफगानिस्तान से भी दुर्व्यवहार खबरें सामने आती है ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि यह तीनों देश धार्मिक कट्टरता चरमपंथ और आतंकवाद से ग्रसित है साथ ही वहां राजनीतिक अस्थिरता और निष्क्रिय अपने हालातों को असामान्य बना दिया है।
भारत सरकार ने कई बार इन लोगों को अधिकारों का समर्थन किया है लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ इस विधेयक में पाकिस्तान बांग्लादेश एवं अफगानिस्तान में धार्मिक आधार पर उत्पीड़न के शिकार गैर मुस्लिम शरणार्थियों को भारत की नागरिकता पर देने का प्रावधान है नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 के तहत सिटीजनशिप एक्ट 1955 में बदलाव का प्रस्ताव है।
इस बदलाव के जरिए गैर मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता दी जाएगी जो पिछले 1 साल से 6 साल तक भारत में रह रहे हैं फिलहाल भारत में सिटीजनशिप एक्ट 1955 के तहत नागरिकता हासिल करने की अवधि 11 साल है इसी नियम को ढील देकर नागरिकता हासिल करने की अवधि को 1 साल से 6 साल तक किया जाना है।
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