जुड़वाँ बच्चे होने हर किसी के लिए काफी शोभाग्य की बात होती है लेकिन कई बार आपने देखा होगा की जुड़वाँ बच्चो की शक्ल एकदम मिलती है।
लेकिन कई जुड़वाँ बच्चे ऐसे होते है जिनकी शक्ल बिलकुल भी नहीं मिलती इसके कारन आज हम आपको बताते है दरअसल जुड़वाँ बच्चे दो तरह के होते है 1. डाईजायगोटिक (Dizygotic)2. मोनोजायगोटिक (monozygotic)
Dizygotic मतलब है की ऐसे जुड़वाँ जो दो अलग -अलग अंडो से जन्मे हो मादा में दो अंडाशय होते है जिनको डायन अंडाशय और बायां अंडाशय कहते है ये अंडाशय हर महीने एक नए अंडे का निर्माण करते है यानी की एक बार दाया अंडाशय और एक बार बायां अंडाशय अंडे का निर्माण करते है।
अब अगर किसी कारणवश दोंनो ही अंडाशय एक -एक अंडे का निर्माण कर दे और अंडे निषेचित हो जाए तो दोनों अंडों से अलग अलग भूर्ण का निर्माण होगा चूंकि ये दोनों अलग अलग अंडे से बने है तो दोनों का DNA भी अलग होगा और दोनों जुड़वाँ बच्चो के कद काठी और नाक नक्श अलग होंगे।
मोनोजायगोटिक:मतलब ऐसे जुड़वाँ जो एक ही अंडे से जन्मे हो अगर अंडे निषेचित होने के बाद किसी कारणवश अलग-अलग भागो में बंट जाये इसमें दोनों जुड़वाँ बच्चो का निर्माण एक ही अंडे और एक ही शुक्राणु से हुआ है इसलिए दोनों का DNA भी समान होगा और अगर DNA समान है तो उनके नाक नक्श कद काठी भी एक जैसे होंगे यहां तक कि उनके अंगुलियों के छाप भी एक जैसे होगी।
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