महिंद्रा ग्रुप के मालिक आनंद महिंद्रा ने 26 मार्च को घोषणा की कि उनकी कंपनी मात्र साढ़े सात हजार में वेंटिलेटर बनाएंगी।

यह औचक घोषणा आनंद महिंद्रा ने देश में कोरोनावायरस के बढ़ते मामलों के बीच की आमतौर पर वेंटिलेटर की कीमत 1000000 रुपए आसपास होती है दरअसल कोरोना के मरीज की जब तबीयत ज्यादा बिगड़ जाती है तो उन्हें वेंटिलेटर की आवश्यकता पड़ती है इससे पहले चीन ,इटली और अमेरिका से ऐसी खबरें आ चुकी है कि मामले बढ़ने के साथ वेंटिलेटर की कमी पड़ गई।
भारत में 24 मार्च से 15 अप्रैल तक लॉकडाउन घोषित हुआ है अब तक और उनकी मरीजों की संख्या 1300 तक पहुंच चुकी है।

क्यों पड़ती है जरूरत मरीजों को इसकी जरूरत कोरोना वायरस ड्रॉपलेट के जरिए इंसानी शरीर में पहुंचता है शुरुआती चरण में इसका असर गले में दर्द और खराश के तौर पर होता है तेज बुखार के साथ निमोनिया के लक्षण उभरना शुरू होते हैं फिर से फेफड़ों को निष्क्रिय करना शुरू करता है जिस इंसान की प्रतिरोधक क्षमता अच्छी होती है उसे वेंटिलेटर की जरूरत नहीं पड़ती लेकिन उम्र दराज है पहले से गंभीर रोग से पीड़ित लोग में इसी वक्त वेंटिलेटर की जरूरत होती है।

कोरोना के बढ़ते के मामले में गंभीर संक्रमण का प्रतिशत कम है लेकिन इसकी तेज फैलाव की वजह से उम्र दराज है बीमार लोगों में ज्यादा मुश्किल खड़ी करता है वेंटिलेटर का उपयोग सामान्य और गंभीर स्थिति में ही किया जाता है विकसित देशों में भी वेंटिलेटर अनुपात में ही रहते हैं विकासशील देशों में इसकी संख्या और भी ज्यादा कम है विकासशील देशों में इसकी कमी होने के कारण कीमत ज्यादा होना भी है इसी वजह से महिंद्रा और अन्य कंपनियों ने कम कीमत में वेंटिलेटर बनाने का फैसला किया है।

दरअसल वेंटिलेटर में लगने वाले सामान कार कंपनियों के पास पहले से मौजूद है ऐसे में उन कंपनियों को उन कंपनियों से समझौता किया है जो वेंटीलेटर बनाती है।
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