कोरोना और इस तरह के वायरस निपटने के लिए सरकार योग और ध्यान की शक्तियों को ही परखने की तैयारी कर रही है।
इसके लिए वैज्ञानिकों चिकित्सक और योग व ध्यानक्षेत्र के में ख्याति प्राप्त अनुभवी लोगों से प्रस्ताव मांगा गया है विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय की साइंस एंड टेक्नोलॉजी ऑफ योगा एंड मेडिटेशन प्रोग्राम के तहत यह प्रस्ताव आमंत्रित किया गया है विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की वेबसाइट पर इस संबंध में कॉल फॉर अपलोड किया गया है इस प्रस्ताव में योग ध्यान की प्रक्रिया का जिक्र होगा।
उसके लक्ष्य ,उद्देश्य उस पर उपलब्ध पुस्तकें प्रमाण , उसकी प्रक्रिया, अनुमानित नतीजा ,जरूरी बजट और संचालित करने वाले संस्थान की जानकारी के साथ-साथ वहां के मुख्य प्रशिक्षक का बायोडाटा देना होगा संबंधी विज्ञान पत्रिका में प्रकाशित शोध की जानकारी सलंग्न करनी होगी इसमें कहा गया है कि प्रस्ताव में इम्यूनिटी बढ़ाने, स्वसन तंत्र को बेहतर करने और सांस से जुड़ी समस्याओं को ठीक करने में सक्षम प्रोजेक्ट की जानकारी होनी चाहिए यही नहीं आइसोलेशन अनिश्चितता और सामान्य दिनचर्या में आए बदलाव के कारण उपजी तनाव ,अवसाद व व्यग्रता जैसी समस्याओं को दूर करने की दिशा में प्रभावी प्रक्रियाओं के लिए भी प्रस्ताव मांगा गया है।
इसमें कहा गया है कि इस पहल का लक्ष्य मौजूदा जटिल परिस्थितियों में समाज की सहायता करना है यह तत्काल जरूरत के लिए मांगा गया है इसलिए प्रस्ताव 6 महीने से 12 महीने में पूरा हो जाना चाहिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव आशुतोष शर्मा ने बताया कि सत्यम एक कॉग्निटिव साइंस प्रोग्राम है शर्मा ने कहा कोरोना के 3 पहलू है यह तनाव , श्वशन और इम्यून सिस्टम पर प्रभाव।
प्रस्ताव में यह आवश्यक है कि योग व ध्यान की जिस प्रक्रिया के बारे में बताया जाए उस पर वैज्ञानिक अध्ययन हुआ हुआ हो कई बार हम जो करते हैं उसके कुछ नतीजे दिखाई देते हैं लेकिन हमें वैज्ञानिक आधार पर समझना होगा उन्होंने कहा कि चिकित्सकों वैज्ञानिकों और प्रशिक्षणकर्ताओ को चाहिए कि साथ मिलकर लाइफ साइंस और बायो साइंस के मौजूदा माध्यमों के प्रयोग से यह समझने की दिशा में काम करे की कोई प्रक्रिया प्रभावी है या नहीं अगर प्रभावी है तो कितनी प्रभावी और किन परिस्थितियों में इसका प्रभाव है।
आयुष राज्यमंत्री श्रीपद येस्सो नाईक ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना इलाज की दिशा में आयुर्वेदिक और पारंपरिक दवाओं के प्रभाव में वैज्ञानिक अध्ययन के लिए टास्क फोर्स का गठन किया है इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च संस्थानों के माध्यम से इन दवाओं की प्रमाणिकता परखी जाएगी सरकार को ऐसे 2000 प्रस्ताव मिले हैं जिनमें से ज्यादातर को आईसीएमआर और अन्य शोध संस्थानों के पास परीक्षण के लिए भेजा गया है।
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