देश की 130 जिले रेड जोन में आते हैं वहां लगभग 33% आबादी रहती है (2011 की जनगणना के अनुसार )वही 284 जिले ऑरेंज ऑन में आते हैं।
जहां तैयारी प्रतिशत आबादी रहती है और 319 जिले ग्रीन जोन में है जहां 40% की अवधि रहती है महाराष्ट्र की 17% उत्तर प्रदेश की 16% और पश्चिम बंगाल की 12% आबादी रेड जोन में रहती है संबंधी दिशानिर्देशों के अनुसार ग्रीन जोन ऐसे क्षेत्र हैं जहां पिछले 21 दिनों से एक भी नया मामला सामने नहीं आया है पहले यह समय सीमा 28 दिन थी।
रेड जॉन को सक्रिय मामलों की कुल संख्या पुष्टि किए गए मामलों की दोहरीकरण परीक्षण और निगरानी प्रतिक्रिया को ध्यान में रखते हुए परिभाषित किया गया है नए वर्गीकरण का मतलब यह है कि कुछ जिले जहां 14 दिनों से एक भी मामला सामने नहीं आया है उन्हें अभी भी रेड जोन की सूची में ही रखा गया है स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव ने शुक्रवार को कहा कि यह विचार मामलों में अप्रत्याशित वृद्धि रोकने के लिए हमारे पास इन वर्गीकरण को लेकर केवल दो मानदंड थे कुल मामले और दोहरीकरण।
लेकिन जैसे ही मामले में बढ़े ठीक होने की दर में बदलाव आया नमूने लेने की आवश्यकता पड़ी हमने मानदंडों में बदलाव किया उन्होंने कहा मानदंड अधिक व्यापक बहुत अच्छा वर्क होनी चाहिए हस्तक्षेप के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्रों की पहचान की जाए जिससे भविष्य में किसी भी जॉन में कोई समस्या ना आए।
इस तरह से हमें रेड और ऑरेंज जोन की व्याख्या की है ऐसे मामलों को कम करना जरूरी है जो कल किसी जिले के लिए मुसीबत खड़ी कर सकते हैं अग्रवाल ने कहा सक्रिय और कठोर नियंत्रण के जरिए वायरस के प्रसार की श्रंखला को हर तरह से तोड़ना महत्वपूर्ण है ताकि जिले से बाहर न जा सके हालांकि क्षेत्र के बाहर यह संभव है कि कुछ रियायत दी जा सकती है जिसे की ग्रह मंत्रालय आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत अधिसूचित कर दिया कर सकता है।
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