दुनिया के तमाम देशों कोरोना वायरस को मात देने के लिए एलोपैथिक आधारित बड़े-बड़े शोध व क्लीनिकल ट्रायल कर रहे हैं।
वहीं भारत ने प्राचीन आयुर्वेदिक परंपरा पर अधिक भरोसा जताया है राजधानी के लोक बंधु अस्पताल में चल रही कोरोना के खिलाफ जंग के लिए सोंठ पाउडर व लहसुन व काढ़ा आधारित स्टडी को क्लीनिकल ट्रायल रजिस्ट्रेशन इंडिया ने अनुमति दे दी है इसके बाद क्लीनिकल ट्रायल किया जा सकेगा।
वैश्विक महामारी को मात देने के लिए सीटीआरआई के इस कदम को बहुत बड़ी उपलब्धि के तौर पर देखा जा रहा है लोकबंधु अस्पताल की एथिक्स कमेटी ने शुरुआती स्टडी पर अपनी मुहर लगाते हुए सीटीआरआई के पास अप्रूवल के लिए भेजा था लोकबंधु अस्पताल में आयुर्वेद विद्या से कोरोना मरीजों पर स्टडी कर रहे डॉक्टर आदिल रईस ने बताया कि अब तक 45 मरीजों पर यह प्रयोग किया जा चुका है इनमें से आधी संख्या में मरीजों को सोंठ पाउडर और लहसून दिया गया जबकि आधे मरीजों को सिर्फ इसी प्रकार का काढ़ा दिया गया दोनों के शुरुआती परिणाम अच्छे रहे हालांकि सोंठ पाउडर वाले वाले मरीज काढ़ा पीने वालों की तुलना में जल्द स्वस्थ हो रहे हैं।
दोनों विधाओं से 45 मरीज ठीक हो चुके हैं एक की रिपोर्ट वेटिंग में है वही अब तक इसमें कुल 70 मरीज रजिस्ट्रेशन करवा चुके हैं डॉ आदिल ने बताया कि कोरोना या अन्य कोई बीमारी होने पर मरीज की जठराग्नि मंद हो जाती है इससे उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी घटने लगती है।
लेकिन गरम पानी में सौंठ का पाउडर सुबह-शाम पीने से 1-2 पीस में दो बार कच्चा लहसुन चबाकर खाने से मंदाग्नि तेज हो जाती है इससे मरीज को भूख लगती है तब तब वह जो भी कुछ खाता है उसका बेहतरीन पाचन होने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ने लगती है ऐसे में एंटीबॉडी भी तेजी से बनती है ऐसे में कोरोना से जीतना आसान हो जाता है काढ़ा भी मरीजों को सुबह-शाम पिलाने से शरीर की बढ़ती है।
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