शनि ग्रह के सबसे बड़े चांद को हम टाइटन के नाम से जानते हैं एक नई स्टडी में दावा है कि टाइटन अपने ग्रह शनि से पहले की तुलना में 100 गुना से तेजी से दूर हो रहा है।
ये स्टडी सोमवार को नेचर एस्ट्रोनॉमी जनरल में प्रकाशित हुई थी हमारे सौरमंडल में टाइटन बहुत अनोखा है यह एक ऐसा ज्ञात चांद जिसका विशेष मायू मंडल है और पृथ्वी के अलावा एक ऐसा ग्रह मंडल है इसकी सतह पर तरल नदियां और झीलें मौजूद है हमारे सौरमंडल में 150 ज्ञात चंद्रमा में से शनि की बाकी चांद भी जिन ग्रहण के चक्कर लगाते हैं उनसे दूर जा रहे हैं इन चांद में हमारा खुद का चांद भी शामिल है।
शनि के 82 चांद है टाइटन जो कि बुध ग्रह से बड़ा है 7,59000 मील की दूरी पर ग्रह की परिक्रमा करता है और इतनी ही तेज गति से अपने ग्रह से दूर हो रहा है तो शनि का पूरा प्लेनेटरी सिस्टम भी बढ़ रहा है पृथ्वी का चांद हर साल करीब डेढ़ इंच दूर होता जा रहा है नासा के अनुसार यह ग्रह पर चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण के कारण होता है जो ग्रह में अस्थाई उभार पैदा करता है वह ऊर्जा चंद्रमा को दूर धकेल देती है।
नासा के मुताबिक टाइटन की माइग्रेशन दर हर साल करीब 4 इंच के बराबर है कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के एक सैद्धांतिक खगोल भौतिक विद्युत सहायक प्रोफेसर लेनी ने नासा के जेट प्रोपल्शन लैबोरेट्री में एक वैज्ञानिक के रूप में अध्ययन पर काम किया इनकी थ्योरी भी कहती है कि घरों के आंतरिक और बाहरी चांद दोनों समान दरों पर दूर होते हैं।
दोनों तरह के चांद ग्रहों को डगमगाने से कक्षाओं में फंस जाते हैं जिसकी वजह से वह दूर धकेल दिए जाते हैं इस सिद्धांत ने लंबे समय से प्रचलित उस धारणा को बदल दिया जिसके मुताबिक बाहरी चांद आंशिक चांद की तुलना में काफी धीरे-धीरे हटते हैं यह विचार इस तथ्य पर आधारित था कि बाहरी चांद अपने ग्रह के गुरूत्वाकर्षण से ज्यादा दूर होते हैं टाइटन की जांच के लिए नासा ने 2026 में ड्रैगनफ्लाई मिशन भेजेगा यह 2034 तक चंद्रमा पर आ जाएगा मार्स रोवर के आकार का ड्रोन टाइटन के घने वातावरण में करीब ढाई साल तक उड़ने में सक्षम है।
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