दुनिया में अपने विस्तारवादी निति को बढ़ावा देने वाले चीन को लेकर अमेरिका ने उसे सबक सिखाने की ठान ली है।
2000 के दशक में अमेरिका ने अनिवार्य रूप से मध्यपूर्व पर ध्यान केंद्रित किया था क्योंकि उसने आतंकवाद के खिलाफ युद्ध चलाया था अब उसका पूरा फोकस बदल गया है और पूरी तरह से चीन पर केंद्रित है अमेरिका स्थाई रूप से जर्मनी में अपने सैनिकों की संख्या 34,500 से 25 हजार तक कम कर रहा है शेष सैनिकों को इंडोपेसिफिक क्षेत्र में नियुक्त किए जाने की उम्मीद है इस तैनाती के बाद अमेरिकी सेना अपने दबदबे को फिर से कायम करेंगी। ]
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अमेरिका अपने संसाधनों को नौसेना और वायुसेना में स्थान्तरित कर रहा है 2010 में घोषित एयर सी बेटल के विचार बाद चीन ने लंबी दूरी के और पनडुब्बियों का प्रयोग शुरू किया चीन के साथ संभावित टकराव में समुद्रीऔर विमानन क्षमता भी होगी जो महत्वपूर्ण साबित होगी ऐसा इसलिए है क्योंकि युद्ध का मैदान दक्षिण चीन सागर या अन्य समुद्री मोर्चा के पानी में होगा।
टीम प्रसारण प्रशासन ने वर्तमान में अपने समर्थन को लेकर दक्षिण कोरिया के साथ विस्तारित चर्चा में लगा हुआ है और जापान के साथ भी ऐसी ही वार्ता करेगा अमेरिका से मेजबान राष्ट्र समर्थन बढ़ाने का दबाव अपनी रक्षा रणनीति पर फिर से विचार कर सकता है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन के खतरे से निपटने के लिए ब्रिटेन भी एशिया में अपने सैनिक भेज रहा है ब्रिटेन की सेना का मानना है कि एशियाई सहयोगी देशों की सुरक्षा के लिए स्वेज नहर के पास और ज्यादा सैनिक तैनात करने के चीन पर शिकंजा कसा जा सकता है इसलिए ब्रिटेन के तीनों सेनाओं के प्रमुख मंत्रियों से मिले थे।
ब्रिटेन की सेना प्रमुखों की बैठक में चीन के खतरे पर सबसे ज्यादा चर्चा हुई ब्रिटेन में चीन के साथ संबंधों को नए सिरे से परिभाषित करने पर जोर दिया जा रहा है इसके अलावा ताईवान के साथ संबंध को मजबूत करने पर जोर दिया जाएगा इसके लिए ब्रिटेन दक्षिण कोरिया और जापान के साथ संबंध को और ज्यादा मजबूत करेगा ब्रिटेन की नौसेना ने ऐलान किया है कि वे स्वेज नहर पर हमेशा के लिएकुछ कमांडो तैनात कर रही है आपको बता दें कि स्वेज नहर दुनिया का सबसे व्यस्त मार्ग है और चीन का बड़े पैमाने पर सामान इसी रास्ते से यूरोप जाता है।
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