दक्षिणी ध्रुव को पृथ्वी पर सबसे ठंडी जगह माना जाता है लेकिन ग्लोबल वार्निंग ने उसे भी अपना निशाना बना लिया है।
एक अध्ययन के अनुसार दक्षिण ध्रुव का तापमान बहुत तेजी से बढ़ रहा है पहले वैज्ञानिकों का मानना था कि दक्षिण ध्रुव ठंडे तापमान के कारण गर्म नहीं होता लेकिन साइंस जनरल नेचर में प्रकाशित एक अध्ययन से पता चला है कि 1989 से 2018 के बीचदक्षिण द्वारा पिछले 30 सालों में +0 . 6 डिग्री सेल्सियस प्रति दशक की दर से 1 . 8 डिग्री सेल्सियस गर्म हुआ जो उससे जो वैश्विक औसत से 3 गुना ज्यादा है।
पिछले 60 वर्षों के मौसम के आंकड़े का विश्लेषण करते हुए अमेरिका।,न्यूजीलैंड और ब्रिटेन के शोधकर्ता इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि दक्षिण ध्रुव तेजी से गर्म हो रहा है अंटार्कटिका के 20 मौसम स्टेशनों के आंकड़े को देखें तो पता चलता है कि दक्षिण ध्रुव के बढ़ते तापमान की दर पूरे महाद्वीप के औसत से 7 गुना अधिक थी रिसर्च में पता चला कि यह क्षेत्र 1989 से 1.86सेल्सियस से ज्यादा गर्म हुआ है जिसने प्रकृति विशेषज्ञों को चिंता में डाल दिया है।
अध्ययन में पाया गया कि समुंदर के गर्म तापमान ने दशकों से दक्षिण अं अंटार्कटिक में वेडेल सागर पर वायुमंडलीय दबाव कम किया हुआ है जिससे दक्षिणी ध्रुव पर गर्म हवा के प्रवाह में तेजी आयी है शोधकर्ता के मुताबिक दक्षिण ध्रुव पर जलवायु में बदलाव कोइंटरडेकेडल पेसिफिक ऑसिलेशन के रूप में जाना जाता है यह चक्कर सकारात्मक और नकारात्मक अवस्था के बीच लगभग 15 से 30 वर्षों तक रहता है।
साइंस जनरल नेचर का कहना है कि यह परिणाम आंतरिक अंटार्कटिक जलवायु के संबंध को उष्णकटिबंधीय परिवर्तनशीलता से जोड़ते हैं इस अध्ययन से पता चला है कि वायुमंडलीय आंतरिक परिवर्तनशीलता अंटार्कटिक इंटीरियर पर चरम क्षेत्रीय जलवायु परिवर्तन को प्रेरित कर सकती है उसने वहां 21वीं सदी के दौरान मानव जनित वॉर्मिंग के संकेत दिए हैं।
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