एमएसपी क्यों किसान और सरकार के लिए है जरूरी है ,यहां समझे इसका गणित

न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी को कानूनी जामा पहनाने के लिए पंजाब के किसान संगठनों के आंदोलन के बीच वहां के किसानों ने खरीफ सीजन में सरकारी खरीद केंद्रों पर जमकर धान बेचा। 


 कुल  सरकारी खरीद में अकेले पंजाब के किसानों की  हिस्सेदारी दो तिहाई से अधिक हो चुकी है दरअसल एमएसपी किसानों के लिए तो जरूरी है यह केंद्र के लिए भी एक मजबूरी है राशनबाँटने  के लिए उसे हर साल 6 टन से अधिक अनाज  चाहिए सरकार के लिए खुले बाजार से अनाज खरीदना  सरकारी  खजाने पर भारी पड़ सकता है केंद्रीय खाद्य मंत्रालय के जारी आंकड़ों के मुताबिक चालू सीजन में अब तक कुल खरीद लगभग 3. 5 करोड़ तटन क पहुंच गई है इसमें अकेले पंजाब से 2 . 24 टन की खरीद की गई है। 



राज्य में खरीद पिछले वर्ष के मुकाबले से भी अधिक है एमएसपी को लेकर राज्य के किसानों को कोई संदेह नहीं है पंजाब में पिछले मार्केटिंग सीजन के मुकाबले अब तक हुई खरीदी 69 फ़ीसदी से अधिक हो गई है पंजाब में सुनिश्चित सरकारी खरीद होने की वजह से आम तौर पर निजी व्यापारिक प्रतिष्ठान मंडियों में खरीद करने नहीं आते हैं राज्य के निजी चावल मिलों में दूसरे राज्य से धान की आवक होती है मंडियों में एमएसपी वाली फसलों के कारोबार सामान्य तौर पर नहीं किए जाते हैं राज्य के किसानों को एम एमएसपी का सबसे ज्यादा लाभ मिल रहा है। 


 पंजाब के किसान यूनियनों को एमएसपी खत्म करने को लेकर आशंका है इस पर इन्हें जबरदस्त एतराज है हालांकि केंद्र सरकार की तरफ से संसद के पटल पर इस बात का भरोसा दिया गया हैहै कि एमएसपी पहले की तरह ही जारी रहेगी मंडियों का अस्तित्व बना रहेगा किसानों से उनकी उपज की सरकारी खरीद में कोई कोताही नहीं की जाएगी इसके बावजूद किसान यूनियनों को आंदोलन दिल्ली तक पहुंच गए हैं जिसे लेकर सरकार के साथ उनकी कई दौर की वार्ता भी हो चुकी है। 


खरीफ फसलों की खरीद निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सभी धान उत्पादक राज्यों पंजाब ,हरियाणा ,उत्तर प्रदेश ,तेलंगना ,उत्तराखंड ,तमिलनाडु ,चंडीगढ़ ,जम्मू और कश्मीर, केरल ,गुजरात ,आंध्रप्रदेश और उड़ीसा में हो रही है लेकिन पंजाब में हर बार की तरह इस बार भी सर्वाधिक धान की खरीद हुई है सरकारी खरीद का लाभ किसानों को मिल चुका है।



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