म्यूचल फंड की ये लाइन आजकल बहुत ज्यादा फेमस है म्यूचुअल फंड इंवेस्टमेंट इज सब्जेक्ट टू मार्केट रिस्क।
इस बात को सुनकर कई लोग म्यूचल फंड में पैसा डालने से डरते है आज हम आपको म्यूचल फंड के निवेश के रिस्क को विस्तार से समझाते है।
म्यूचल फंड बाजार के उतार चढ़ाव पर निर्भर करते है उम्मीद से अलग बाजार की चाल पर काफी रिस्क होता है शेयर बाजार में निवेश पर मार्केट रिस्क होता है अगर शेयर बाजार गिरा तो मुनाफा घट सकता है या फिर स्किम में लगा पैसा कम हो जाता है इन स्कीम्स में ज्यादातर म्युचूअल फंड्स का पैसा लगता है लेकिन शेयर बाजार की गिरावट पर पैसा नहीं निकालना चाहिए।
अगर डेट में पैसा लगाने वाले म्यूचल फंड निवेश करने वाले रिस्क से मुक्त नहीं होते है इसमें कर्ज लेने वाली कंपनी के कर्ज न चूका पाने का जोखिम होता है और निवेशक के डूबने का खतरा होता है लेकिन सरकारी सेक्योरिटीज क्रेडिट रिस्क नहीं होता ऐसे में अगर आपने पैसा निवेश किया है तो उस पर मिलने वाला रिटर्न घट सकता है।
म्यूचल फंड में ब्याज दर बढ़ने बांड के दाम घट जायेंगे यानि की ब्याज दर के बढ़ने से डेट निवेश पर नुकशान होगा ब्याज दर घटने से डेट निवेश की वेल्यू बढ़ेगी मेच्योरिटी तक बॉन्ड और डिबेंचर्स जैसे डेट निवेश रखने से रिस्क कम होता है इसका मतलब साफ है कि अगर आप बॉन्ड्स में पैसा लाने वाले म्युचूअल फंड स्कीम में निवेश कर रहे तो ये रिस्क बना रहेगा।
म्यूचल फंड में लिक्विडिटी रिस्क भी होता है इसके अंतर्गत लॉक-इन पीरियड में निवेश कैश में नहीं बदल पते है खरीददार नहीं होने की वजह से लिक्विडिटी रिस्क आता है रियल स्टेट और इक्विटी के निवेश पर लिक्विडिटी रिस्क ज्यादा होता है इस पर काबू पाने के लिए निवेश डायवर्सिफाइड रखें।
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