प्रयागराज में कुंभ मेले की शुरुआत मकर संक्रांति के बाद होने वाली है इस मेले में पुण्य कमाने के लिए लाखो लोग पहुँचने वाले है।
यहाँ पर कुंभ स्नान के साथ साथ वहाँ के साधु संत काफी फेमस है उनका श्रृंगार बहुत ज्यादा फेमस है ज्यादातर लोग साधुओ के श्रृंगार को देखके अचम्भित हो जाते है यहाँ पर नागा साधु ज्यादा आते है कई वस्त्र धारण करने वाले साधु भी आते है आज हम आपको श्रृंगार की विशेष बाते बताते है।
सबसे ज्यादा एकरसहन का केंद्र उनके माथे पर लपेटी जाने वाली भभूत होती है जो नागा साधु विशेष तोर पर प्रयोग करते है कहा जाता है की यज्ञ की भभूत लगाने से हर तरह की बीमारी दूर ह जाती है इसलिए नागा साधुओ पर नग्न घूमने के बावजुद सर्दी गर्मी का कोई असर नहीं होता।
महाकुंभ में शामिल होने वाले साधु श्रृंगार के साथ माथे पर तिलक धारण किये हुए होते है उनके वस्त्र भी अनूठे होते है मसलन कोई गोल तो कोई उर्ध्वपुंड्र टीका लगाता शैव परंपरा वाले साधु अलग तरीके से तो वैष्णव परंपरा वाले साधु अलग तरीके से तिलक लगाते हैं।
इन साधुओ में भगवान शिव के उपाशक रूद्रक्ष धारण करते है रुद्राक्ष इनके बहुत ही ज्यादा कीमती होते है कुम्भ में आपको रुद्राक्ष से ढके हुए कई साधु मिल जायेंगे साधु आपको रुद्राक्ष का श्रृंगार किये हुए ही मिलते है।
कुंभ मेले में जहां कुछ साधु सिर के पूरे बाल मुंड़ाए हुए मिल जाएंगे, वहीं कुछ साधुओं की पहचान उनकी लंबी जटाएं होती हैं लंबी और मोटी जटाओं की साधु-संत विशेष देखभाल करते हैं इन तमाम श्रृंगार के अलावा जटा-जूटधारी साधु-संत पैरों में कड़ा, कानों में कुंडल, हाथ की अंगुलियों में अंगूठी आदि भी धारण करते हैं
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