भारत में हीटवेव लगातार बढ़ता जा रहा है और इससे जलसंकट बढ़ना स्वाभाविक है इस साल भूमगत जलस्तर में 54 प्रतिशत तक कमी दर्ज की गयी है और मानसून की तरफ से कोई अच्छी खबर नहीं आ रही है।
जहाँ एक तरफ मुंबई पानी से सरोबार हो रहा है वही दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, बिहार और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों सहित उत्तर और मध्य भारत के कई हिस्सों में अब भी पूरे मानसून का इंतज़ार ही चल रहा है तमाम आंकड़ों के हिसाब से इस साल पानी का अकाल है।
पर्यावरण से जुड़े पत्र डाउन टू अर्थ की रिपोर्ट के मुताबिक इस साल 1 मार्च से पहले 100 दिनों के भीतर देश के 22 राज्यों में 70 से ज़्यादा हीट वेव चरण देखे गए केवल बिहार में 200 से अधिक लोग मारे गए और तमिलनाडु जैसे राज्यों से भी गर्मी से मौत की खबरे आयी है वैज्ञानिकों का मानना है कि आने वाले सालों में क्लाइमेट चेंज के कारण भारत जैसे देशों को और भीषण गर्मी से जूझना होगा।
साइंस एडवांसेज़ में प्रकाशित एक रिसर्च के मुताबिक दक्षिण एशिया के घने बसे कृषि क्षेत्रों के लोग भीषण गर्मी की चपेट में बाकियों की तुलना में ज़्यादा आएंगे इस रिपोर्ट में बताया गया है की कैसे भारत ,पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे देश इस मामले में सवेंदनशील है।
केंद्रीय जल आयोग के मुताबिक जून में 90 रिज़र्वायरों में 20 फीसदी से भी कम पानी पाया गया चेन्नई की तरह कुछ और जगहों को भी पूरी तरह सूखा पाया गया ये किसानो और आम लोगो के लिए अच्छी खबर नहीं है दुनिया भर की रिपोर्टो में देखा जाये तो ग्लोबल वार्मिंग में सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले देशो में भारत शामिल है।
पूरी दुनिया की जमीन का ढाई फीसदी और दुनिया भर के पानी का 4 फीसदी हिस्सा भारत के खाते में है, जबकि दुनिया की आबादी का 17 फीसदी हिस्सा है, ऐसे में भारत में खतरनाक होते मौसम परिवर्तन से देश के सामने बड़ी चुनौतियां खड़ी होने वाली हैं।
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