कोरोना वायरस का संक्रमण पूरी दुनिया में काफी तेजी से बढ़ रहा है ऐसे में इसकी रोकथाम के लिए सैकड़ों देशवेक्सीन बनाने में जुटे हैं।

कई देश के वेक्सीन बनाने के आखिरी स्टेज में भी पहुंच चुके हैं वहीं चीन और रूस दोनों ने ही विश्व स्वास्थ्य संगठन या अंतरराष्ट्रीय आलोचनाओं की परवाह किए बिना अपने वैक्सीन को अप्रूव कर दिए है रिपोर्ट में बताया जा रहा है कि चीन ने कैनसिनो बायोलॉजिक्स वैक्सीन को लिमिटेड इस्तेमाल के लिए अपूर्व किया है और चीनी मिल ट्री के लिए यह उपलब्ध है वहीं रूस ने एक कदम आगे बढ़ते हुए गामालिया रिसर्च इंस्टीट्यूट के वैक्सीन को सबके लिए अप्रूव कर दिया है दोनों वेक्सीन फेज 3 की टेस्टिंग से गुजर रहे हैं अब तक पूरी तरह इफेक्टिव से भी साबित नहीं हुए हैं।
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 11 अगस्त को ऐलान किया किगामालिया इंस्टिट्यूट ने रक्षा मंत्रालय के साथ मिलकर जो कोरोना वैक्सीन बनाई है उसे रजिस्टर कर लिया गया है रूस ने इस वैक्सीन को जनता के इस्तेमाल के लिए मंजूरी दे दी है इसे दुनिया की पहली वेक्सीन के तोर पर पेश किया है सितंबर से इसका उत्पादन शुरू होगा और अक्टूबर से आम लोगों को वैक्सीन लगाने की शुरुआत होगी।
वहीं भारत में अब तक वेक्सीन क्यों नहीं आई और इसमें देरी क्यों हो रही है इस पर आईसीएमआर के साथ मिलकर भारत बायोटेक इंटरनेशनल के चेयरमैन कृष्ण एल्ला ने कहा कि कंपनी टेस्ट को लेकर जल्दबाजी में नहीं है उनका कहना है कि उन पर काफी दबाव है लेकिन क्वालिटी सबसे ऊपर है कंपनी गलत वेक्सीन लोगों की मौत की वजह नहीं बनना चाहती है कंपनी बेस्ट क्वालिटी की बनाना चाहती है उसे पूरा भरोसा है किकोवैक्सीन एक इनएक्टिवेटेड वैक्सीन है और यह कोरोना वायरस के खिलाफ एक्टिव होगा।

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