गाँधी जो को राष्ट्रपिता भी कहते है लेकिन एक कारन है जिसका जिम्मेदार अभी भी महात्मा गाँधी को मानते है।
कई लोग मानते हैं कि अगर गांधी जी चाहते तो भगतसिंह को बचाया जा सकता था।
अगर गांधीजी ने भगतसिंह का साथ दिया होता और उनकी रिहाई के लिए आवाज उठाई होती तो मुमकिन है देश अपना एक होनहार युवा क्रांतिकारी नहीं खोता।
भगत सिंह की मृत्यु के समय महात्मा गांधी ने कहा था कि ‘मैंने किसी की जिंदगी को लेकर इतना रोमांच नहीं देखा जितना कि भगत सिंह के बारे में हालांकि मैंने लाहौर में उसे एक छात्र के रूप में कई बार देखा है, मुझे भगत सिंह की विशेषताएं याद नहीं हैं, लेकिन पिछले एक महीने में भगत सिंह की देशभक्ति, उसके साहस और भारतीय मानवता के लिए उसके प्रेम की कहानी सुनना मेरे लिए गौरव की बात है’ लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि ‘मैं देश के युवाओं को आगाह करता हूं कि वे उनके उदाहरण के रूप में हिंसा का अनुकरण नहीं करें।
भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को 23 मार्च, 1931 को ही फांसी दे दी गई यह फांसी यूं तो 24 मार्च, 1931 की सुबह फांसी दी जानी थी लेकिन हुकूमत ने नियमों का उल्लंघन कर एक रात पहले ही तीनों को चुपचाप लाहौर सेंट्रल जेल में फांसी पर चढ़ा दिया था।
from Bollywood Remind | bollywood breaking news in hindi ,social trade news , bollywood news ,bollywood https://ift.tt/3i6L8Mg
0 comments: