किसी को वैक्सीन तब नहीं लगाई जाती जब उसे संक्रमण हो जाता है वैक्सीन इसलिए लगाई जाती है ताकि संक्रमण ना हो।
अब क्योंकि ज्यादातर वैक्सीनेशन के निर्माण में या तो इस बीमारी के कमजोर हो चुके वायरस का इस्तेमाल किया जाता है या फिर मरे हुए वायरस से वैक्सीन बनाई जाती है इसलिए यह वेक्सीन लगने के बाद लोगों में कोरोना जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं।
जैसे तेज बुखार होना ,मांसपेशियों में दर्द ,ध्यान में कमी और सिर दर्द की शिकायत हो सकती है ऐसा इसलिए होता है क्योंकि शरीर की प्रतिरोधक क्षमता इस वायरस को पहचान कर उससे लड़ने लगती है और यहीं से वायरस के खिलाफ इम्युनिटी तैयार होती है।
इसके बाद वैक्सीन की दूसरी डोज लोगों को दी जाएगी लेकिन इसके दुष्प्रभाव पहले से कम होंगे हालांकि हो सकता है कि वह वेक्सीन लगने के बाद आपको अपने काम से कुछ दिनों की छुट्टी लेनी पड़े कोरोना वैक्सीन कई साइड इफेक्ट होते हैं जिनको सहने के लिए आपको काफी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
आपको बता दे की पोलियो की वैक्सीन तैयार होने में 47 साल का समय लगा ,वही चिकन पॉक्स के खिलाफ वैक्सीन बनाने में 42 साल और इबोला की वैक्सीन तैयार करने में 43 वर्ष लग गए थे हेपेटाइटिस बी वैक्सीन तैयार होने में 13 वर्ष का समय लगा और इनका सबसे बड़ा उदाहरण एचआईवी एड्स के संक्रमण का पहला मामला 1959 में आया था लेकिन 61 वर्ष बीत जाने के बाद भी इसका इलाज नहीं ढूंढा जा सका है।
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