लाल चंदन को रक्त चंदन के नाम से भी जाना जाता है चंदन तीन तरह का होता है सफेद लाल और पित्त यानी पीला।
पूजा पाठ में चंदन का इस्तेमाल का महत्व सभी जानते हैं लेकिन भारत में उगने वाले लाल चंदन यानि रक्त चंदन की बात कुछ और ही है रक्त चंदन में सफेद चंदन की तरह सुगंध नहीं होती दुनिया में इसकी भारी मांग की वजह भी यही है कि भारत का यह लाल सोना आयुर्वेद में औषधि के रूप में अन्य तरीकों से उपयोग किया जाता है।
रक्त चंदन के यह पेड़ दक्षिण भारत के शेषाचलम को छोड़ कहीं नहीं उगते यह सिर्फ तमिलनाडु की सीमा से लगे आंध्र प्रदेश के 4 जिलों नेल्लोर ,कुरनूल ,चित्तूर ,कडप्पा में फैली शेषाचलम की पहाड़ियों में ही रक्त चंदन के पेड़ होते हैं लाल चंदन के पेड़ की औसत ऊंचाई 8 से लेकर 12 मीटर तक होती है इसकी लकड़ी पानी में डूब जाती है जो इसकी सबसे प्रमुख पहचान है।
रक्त चंदन के कई फायदे होते हैं रक्त चंदन से महंगे फर्नीचर ,सजावट के काम के लिए काफी डिमांड होती है इसके साथ ही शराब और कॉस्मेटिक में भी इसका इस्तेमाल होता है इंटरनेशनल मार्केट में इसकी कीमत करोड़ों तक पहुंचती है इसलिए भारत पर रक्त चंदन के पेड़ों की सुरक्षा की जिम्मेदारी है।
लाल चंदन की लकड़ी विदेशों में खासकर चीन में भारी मांग है जिसके चलते इनको निर्यात कर के तस्कर एक अच्छी अच्छी खासी रकम कमा लेता है यह कीमती लकड़ी तिरुमला और तिरुपति सहित चित्तूर जिले में बड़े पैमाने पर पाई जाती है आंध्र प्रदेश में पिछले कई दशकों से लाल चंदन की तस्करी में इजाफा हुआ है इन पेड़ों की सुरक्षा के लिए STF तक की तैनाती की गई है भारत में इसकी तस्करी को रोकने के लिए कड़े कानून हैं।
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