उत्तरप्रदेश के इटावा में 6 साल के एक बच्चा हंटर सिंड्रोम से पीड़ित है 2 लाख में एक बच्चे मेँ होने वाली इस बीमारी का इलाज केवल एंजाइम रिलेस्मेंट थेरेपी है जिसका खर्च करोड़ो मेँ आता है।
आज हम आपको इस बीमारी के कुछ लक्षण की जानकारी देते है .हंटर सिंड्रोम एक रेयर बीमारी है. इस आनुवंशिक बीमारी में किसी एक क्रोमोजोम में विकृति के कारण शर्करा को तोड़ने के लिए जरूरी एंजाइम बहुत कम मात्रा में बनता है।
Iduronate 2-sulfatase नाम के इस एंजाइम की कमी या अनुपस्थिति से शर्करा का टूटना कम हो जाता है और इसके कॉम्प्लेक्स मॉलिक्यूल कोशिकाओं, खून और ऊतकों में इकट्ठा हो जाते इस वजह से बच्चे के शारीरिक और मानसिक बढ़त पर असर दिखने लगता है इसकी वजह से शरीर मेँ कई बदलाव होने लगते है खासकर की इसमें बच्चे के बौद्धिक और शारीरिक विकास प्रभावित होता है इसके लक्षण धीरे-धीरे सामने आते हैं, जब बच्चे की सोचने-समझने की क्षमता, शारीरिक बढ़त और ऑर्गन फंक्शन अपनी उम्र के दूसरे बच्चों की अपेक्षा सुस्त होने लगते है।
फिर एक समय के बाद बच्चा एकदम बढ़ना बंद हो जाता है इसे ट्राइसोमी 21, एमपीएसएस और डाउन सिंड्रोम के नाम से भी जाना जाता है ये सिंड्रोम माँ से बच्चे मेँ जाता है लड़कियों पर इसका कोई खतरा नहीं होता इसकी वजह ये है कि उनमें दो X क्रोमोजोम होते है और अगर मां से मिला एक क्रोमोजोम बीमार है तो उनका खुद का दूसरा क्रोमोजोम सामान्य है वही लड़को मेँ एक X और एक Y क्रोमोजोम होता है ऐसे मेँ X क्रोमोजोम खराब होने पर इस बीमारी का खतरा बढ़ जाता है लड़किया इस बीमारी का कारन होती है अगर माँ मेँ कोई बीमार क्रोमोजोम है तो वो संतान मेँ पहुंच जाता है।
अब तक ये पता नहीं लग स्का है की इस बीमारी की वजह क्या है वैज्ञानिक लगातार इस बीमारी की खोज कर रहे है हंटर सिंड्रोम एक दुर्लभ बीमारी है जिसके लक्षण कई तरह के हो सकते है बीमारी कितनी गंभीर है ये इस बात पर निर्भर करता है बच्चे की माँ की पिछली कितनी पीढ़िया इस बीमारी की वाहक रही है इसके लक्षण जन्म के साथ दिखाई नहीं देते हैं लेकिन 2 से 4 साल की उम्र तक संकेत दिखने लगते हैं।
इसके लक्षण इस तरह से है सिर का आकार सामान्य से काफी बड़ा होना, होंठों का मोटा हो जाना, फैली हुई नाक, जिसके छेद भी सामान्य से काफी बड़े लगें, मोटी आवाज, हंटर सिंड्रोम में पेट काफी फूला हुआ दिखता है क्योंकि पेट के भीतर के सभी ऑर्गन फूल जाते हैं जोड़ो मंकड़पन होने की वजह से बच्चा ढंग से चल नहीं पाता इसके अलावा कई व्यवहारगत लक्षण भी हैं, जैसे बीमारी से प्रभावित बच्चा बहुत गुस्सैल हो जाता है, बोल नहीं पाता या बातें समझ नहीं पाता है उम्र के साथ ये रोग और गंभीर हो जाता है।
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