भारत में कई राजा रहे है जिन्होंने शानदार महल बनवाये है उन महलो की अपनी अपनी कहानी है।

फ़िलहाल तो उन महलो की हालत जर्जर हो चुकी है लेकिन उनसे जुडी कोई ना कोई बात आम इंसान को अभी भी परेशान करती है ऐसे ही एक महल है भूली भटियारी महल जो दिल्ली का झडेवाला के रिज एरिया में एक बेहद ही सुनसान जगह में है ये भटियारी महला अपने आप में कई राज समेटे हुए है शाम ढलते ही यहाँ पर सन्नाटा पशर जाता है इस भटियारी महल के बारे में लोगो में इतना खौफ है की सूरज ढलने के बाद इस तरफ इंसान तो क्या एक परिंदा भी पर नहीं मरता क्योंकि इस महल के बारे में कहा जाता है की यहाँ पर एक रानी की आत्मा भटकती है।

कहा जाता है की अहा पर जो भी व्यक्ति रात के समय आता है वो रास्ता भटक जाता है और कभी भी अपने घर नहीं पहुंच पाता है इस महल का इतिहास इस तरह से है कहा जाता है की 14 वीं सदी में फिरोज़ शाह तुगलक ने इस जगह को शिकारगाह के रुप में बनवाया थाकिसी जमाने में इस महल में एक बहुत बड़ा महल हुआ करता था जो अब मलबे में तब्दील हो चूका है।

इस महल में एक बहुत बड़ा आंगन है और आंगन के साह्रो तरफ कमरे बने हुए है जिसमे शिकार करने वाले राज परिवार के लोग रहते थे वैसे तो इस महल के बारे में कई अवधारणाएं है कोई कहता है कि इस जगह का नाम तुगलक वंश के सूफी संत बल-अली-बक्थियारी के नाम पर रखा गया थाबाद में इसका नाम बदलकर भूली भटियारी कर दिया गया जबकि कुछ इतिहासकारों की मानें तो इस महल का नाम इसकी देखरेख करनेवाली महिला भूरी के नाम पर रखा गया था।

कई लोगो का मानना है की राजस्थान की एक जनजातीय लडकी भटियारीन रास्ता भूल गई थी और चलते-चलते वो इस जगह पहुंची थी जिससे इस जगह का नाम भूली भटियारी हो गया था वही महल को लेकर एक ऐसी कहानी भी है जिसके सुनते ही डर के मारे काँप जायेंगे कहा जाता है की तुगलक वंश के बाद एक राजना ने अपना शिकारगाह इस महल को बनाया था।
एक दिन राजा ने गुस्से में अपनी रानी को इस महल में जिंदगी भर भटकने के लिए छोड़ दिया उस रानी ने भटकते भटकते यहाँ पर दम तोड़ दिया रानी की मौत के बाद उसकी लाश भी यहाँ नहींमिले कहा जाता है की उस रानी की आत्मा आज भी इस जंगल में भटकती है अपने पति से बदला लेने के लिए तड़प रही है।
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फ़िलहाल तो उन महलो की हालत जर्जर हो चुकी है लेकिन उनसे जुडी कोई ना कोई बात आम इंसान को अभी भी परेशान करती है ऐसे ही एक महल है भूली भटियारी महल जो दिल्ली का झडेवाला के रिज एरिया में एक बेहद ही सुनसान जगह में है ये भटियारी महला अपने आप में कई राज समेटे हुए है शाम ढलते ही यहाँ पर सन्नाटा पशर जाता है इस भटियारी महल के बारे में लोगो में इतना खौफ है की सूरज ढलने के बाद इस तरफ इंसान तो क्या एक परिंदा भी पर नहीं मरता क्योंकि इस महल के बारे में कहा जाता है की यहाँ पर एक रानी की आत्मा भटकती है।

कहा जाता है की अहा पर जो भी व्यक्ति रात के समय आता है वो रास्ता भटक जाता है और कभी भी अपने घर नहीं पहुंच पाता है इस महल का इतिहास इस तरह से है कहा जाता है की 14 वीं सदी में फिरोज़ शाह तुगलक ने इस जगह को शिकारगाह के रुप में बनवाया थाकिसी जमाने में इस महल में एक बहुत बड़ा महल हुआ करता था जो अब मलबे में तब्दील हो चूका है।

इस महल में एक बहुत बड़ा आंगन है और आंगन के साह्रो तरफ कमरे बने हुए है जिसमे शिकार करने वाले राज परिवार के लोग रहते थे वैसे तो इस महल के बारे में कई अवधारणाएं है कोई कहता है कि इस जगह का नाम तुगलक वंश के सूफी संत बल-अली-बक्थियारी के नाम पर रखा गया थाबाद में इसका नाम बदलकर भूली भटियारी कर दिया गया जबकि कुछ इतिहासकारों की मानें तो इस महल का नाम इसकी देखरेख करनेवाली महिला भूरी के नाम पर रखा गया था।

कई लोगो का मानना है की राजस्थान की एक जनजातीय लडकी भटियारीन रास्ता भूल गई थी और चलते-चलते वो इस जगह पहुंची थी जिससे इस जगह का नाम भूली भटियारी हो गया था वही महल को लेकर एक ऐसी कहानी भी है जिसके सुनते ही डर के मारे काँप जायेंगे कहा जाता है की तुगलक वंश के बाद एक राजना ने अपना शिकारगाह इस महल को बनाया था।
एक दिन राजा ने गुस्से में अपनी रानी को इस महल में जिंदगी भर भटकने के लिए छोड़ दिया उस रानी ने भटकते भटकते यहाँ पर दम तोड़ दिया रानी की मौत के बाद उसकी लाश भी यहाँ नहींमिले कहा जाता है की उस रानी की आत्मा आज भी इस जंगल में भटकती है अपने पति से बदला लेने के लिए तड़प रही है।
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