पहली बार ऐसा हुआ है कि कोरोनावायरस को लेकर बनाई जा रही थी वैक्सीन ने बंदर को कोरोना संक्रमण से बचाया है।
यह सफलता हासिल की है चीन की एक दवा बनाने वाली कंपनी ने इस कंपनी ने रीसस मकाउ बंदर यानी सामान्य लाल मुंह वाले बंदर को वैक्सीन दी थी उसके बाद पता चला कि इन मंदिरों में अब कोरोना वायरस नहीं हो सकता कंपनी ने 16 अप्रैल से इंसानों पर इस वैक्सीन का ट्रायल शुरू कर दिया है।
चीन की राजधानी बीजिंग में मौजूद दवा निर्माता कंपनी सायनोवेट बायोटेक ने दावा किया है कि उसने आठ बंदरों को अपनी नई वैक्सीन के अलग-अलग डोज दिए थे 3 हफ्ते बाद उन्होंने बंदरों की वापस जांच की तो नतीजे आए वह हैरतअंगेज थे बंदरों की फेफड़ों में ट्यूब के जरिए वैक्सिंग के रूप में कोरोनावायरस ही डाला गया था 3 हफ्ते बाद जांच में पता चला कि उनमे में से एक भी बंदर को कोरोना वायरस का संक्रमण नहीं है।
सायनोवेट कि सीनियर डायरेक्टर मेंग विनिंग ने बताया कि जिस बंदर को सबसे ज्यादा डोज की गई थी 7 दिन बाद ही उसके फेफड़ों में शरीर में कहीं भी कोरोना वायरस का कोई लक्षण यह सब कुछ नहीं दिखाई दे रहे थे कुछ बंदरों में हल्का सा असर दिखाई दिया लेकिन उन्होंने उसे नियंत्रित कर लियाआता सायनोवेट में बंदरों पर किए गए परीक्षण के बाद वैक्सीन की रिपोर्ट 19 अप्रैल को bioRxiv वेबसाइट पर प्रकाशित की है।
बंदरों पर आए हैरतअंगेज नतीजों के बाद मैन विनिंग ने कहा कि हमें पूरा भरोसा है कि यह वैक्सीन इंसानों पर भी अच्छा असर करेगी मेन विनिंग नहीं ने कहा कि हमने पुराना तरीका अपनाया है वैक्सीन को विकसित करने का पहले कोरोना वायरस में बंदर को संक्रमित किया फिर उसके खून से वैक्सीन बना लिया दूसरे दूसरे बंदर में डाल दें इस तरीके से गरीब देशों को महंगी वैक्सीन की जरूरत नहीं पड़ेगी।
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