इस्कॉन मंदिर के बारे में तो सब जानते ही हैं इसमें कई सन्यासी भी दिखाई देते हैं लेकिन अगर कोई सन्यासी बनना चाहे तो इसके लिए क्या करना पड़ता है।
इसके लिए आपको कुछ नियमों का पालन करना पड़ता है सन्यासी बनने से पहले पहले आपको कुछ साल इस्कॉन के मंदिर में ब्रह्मचारी बनकर रहना होगा इस काल में आपको आपका मार्गदर्शन एक सन्यासी करेंगे वही आपकी शिक्षा गुरु होगी परंतु ब्रह्मचारी बनने से पहले आपको भौतिक जगत का लौकिक शिक्षण पूर्ण करना अनिवार्य है।
शिक्षा गुरु के उत्तम मार्गदर्शन से आपकी आध्यात्मिक प्रगति होती रहेगी इस काल में आपको पीले वस्त्रों का धोती कुर्ता पहनना आवश्यक होता है ऐसी शिक्षा गुरुओं के मार्ग दर्शन पाकर आप में सकारात्मक बदलाव अपने आप आने लगेगा और कृष्ण भक्ति और कृष्ण सेवा बस केवल आपका यही काम होगा।
2 साल बाद आपको सफेद रंग के धोती और कुर्ता दे दिए जाएंगे यह आपकी प्रगति का चिन्ह होता है सन्यासी होते होते भी आपकी कई कोर्स होते रहेंगे इस काल में आप मंदिर में सेवा किचन अथवा बाहर प्रसाद वितरण की सेवा आदि कार्य कर सकते हैं इसी काल में आपकी इच्छा से भजन संकीर्तन ,वाद्य ,वादन, गायन संस्कृत भाषा कई कोर्स मंदिर में ही आपकी इच्छा के अनुसार आप कर सकते हैं।
इस्कॉन मंदिर के प्रथम चरण प्रारंभिक नियमों के पालन के बाद आपको ब्रह्मचार्य कटाक्ष से अनिवार्य होता है साथ ही आप बिना लहसुन प्याज से बना प्रसादी सेवन कर सकते हैं इसके साथ ही आपको हर तरह के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का भी त्याग करना होगा जैसे कि टच स्क्रीन वाले मोबाइल इन सभी चीजों का आप का त्याग करना होगा आपके पास सिर्फ बटन वाला मोबाइल होगा जिसमें आपको सिर्फ भगवान का कीर्तन और भजन सुनना ही अनिवार्य है।
ब्रह्मचारी काल में आप आप के मार्गदर्शक शिक्षा गुरु के बिना अनुमति के कहीं भी नहीं जा सकते आपको हर काम को करने से पहले शिक्षक गुरु की अनुमति लेनी होगी इसके बाद आपका शिक्षा गुरु आपका चयन करता है कि आप दीक्षा लेने के योग्य है या नहीं जब आपको आपका शिक्षक चयन करता है तो इस्कॉन के प्रमुख गुरु सन्यासी की दीक्षा देंगे और दीक्षा के साथ आपको एक नया नाम मिलेगा वह आपकी सेवा जहां और जिस शहर में तय करेंगे वही आपको रहना होगा चाहे वह पाकिस्तान हो या अमेरिका का या फिर आप भारत के किसी भी मंदिर में जा सकते हैं।
अब आप भगवत को समर्पित हो गए हैं इसलिए आपका मार्ग गुरु तय करेंगे और अब आपको भगवा रंग के वस्त्रों का परिधान पहनना आवश्यक होगा सन्यासी बनने के बाद भगवत गीता का जग में प्रसार करना होगा लोगों को गीता समझाने हेतु क्लास लेनी श्रीमद्भागवत का महान ज्ञान लोगों तक पहुंचाना होगा कृष्ण का प्रसार करने का महान काम सन्यासी करते हैं।
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